भरतपुर

गांवों में इंटरनेट की गड़बड़ ने बढ़ाई ऑनलाइन हाजिरी की मुश्किल

-शिक्षा निदेशालय दे चुका है आनॅलाइन उपस्थिति दर्ज करने का आदेश

भरतपुरDec 05, 2021 / 06:48 pm

Meghshyam Parashar

गांवों में इंटरनेट की गड़बड़ ने बढ़ाई ऑनलाइन हाजिरी की मुश्किल

भरतपुर. पिछले कुछ दिन से शिक्षकों की ओर से शिक्षा निदेशालय के विद्यार्थियों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के आदेश का विरोध किया जा रहा है। आदेश में यह है कि अब स्कूलों में अध्यापन करवाने के साथ ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन कर रहे शिक्षक, बतौर बीएलओ ड्यूटी देने वाले शिक्षकों को अब स्कूली विद्यार्थियों की उपस्थिति भी शाला दर्पण पर ऑनलाइन करनी होगी। शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं, इसके अनुसार स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वह शिक्षकों के साथ साथ अब विद्यार्थियों की उपस्थिति भी शाला दर्पण पर अपलोड करें। निर्देश में यह भी कहा गया है कि छात्र और छात्राओं की उपस्थिति अलग-अलग करनी होगी, वह भी नियमित रूप से किया जाए। विभाग के इन आदेशों का शिक्षक भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि शहरी क्षेत्रों में भले ही यह काम हो जाएगा लेकिन प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शिक्षक शाला दर्पण पोर्टल पर विद्यार्थियों की उपस्थिति कैसे सुनिश्चित करेंगे। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट सेवाएं सुचारू नहीं होती, जहां शिक्षकों की उपस्थिति ही बाद में दर्ज होती हो वहां विद्यार्थियों की उपस्थिति दर्ज कराने का काम आसान नहीं होगा। शिक्षकों का यह भी कहना है कि पहले ही उन पर काम का भार इतना अधिक है कि अब विद्यार्थियों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करवाने का मतलब है और अधिक समय की बरबादी, जब शिक्षक दिन भर इन्हीें कामों में लगे रहेंगे तो शिक्षण व्यवस्था प्रभावित होगी।
उल्लेखनीय है कि कोविड काल में शिक्षकों के उत्तरदायित्व में और भी बढ़ोतरी हुई है। ऑफलाइन पढ़ाई के साथ ऑनलाइन पढ़ाई। स्टूडेंट्स को स्माइल क्लास से जोडऩे, वर्क बुक वितरण का काम, जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे और ऑनलाइन पढ़ाई से भी नहीं जुड़ पा रहे शिक्षक उनके घर जाकर उन्हें पढ़ाई से जोडऩे का काम भी कर रहे हैं। समय-समय पर उनकी ड्यूटी कई अन्य कामों में भी लगा दी जाती है।
शिक्षकों के पास गैर शैक्षणिक कार्यों की भरमार

मतदाता सूची निर्माण व संशोधन प्रक्रिया, पोर्टल पर डाटा फीडिंग करना, मिड डे मील के तहत खाते में फंड ट्रांसफर सुनिश्चित करना, मिड डे मील के तहत राशन व खाद्य सामग्री एकत्र करना, भोजन बनवाना, विद्यालय परिसर का दुरुस्तीकरण कराना, विद्यालय परिसर के विभिन्न अभिलेखों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी, भवन निर्माण व देखरेख का काम, प्रसार-प्रसार के लिए बच्चों को लेकर विभिन्न रैलियों में शामिल करवाना, बीएलओ का काम। आए दिन शिक्षकों पर कोई न कोई गैर शैक्षणिक कार्य का बोझ डाल दिया जाता है।
इनका कहना है

-पहले भी एक बार ऑनलाइन उपस्थिति का आदेश आया था, जिले में कहीं भी कोई समस्या नहीं आई थी। यह योजना सफल होगी।
प्रेमसिंह कुंतल
डीईओ माशि मुख्यालय

-शिक्षकों के पास पहले से ही बहुत सारे काम है। गांवों में इंटरनेट सेवा सही तरह से काम नहीं करती है। इससे कुछ स्थानों पर परेशानी आ सकती है। विभाग को शैक्षणिक कार्य को प्रथम रखते हुए आदेश देने चाहिए।
पवन शर्मा
प्रदेश संयुक्त मंत्री राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत

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