सरकार ने लूटी वाहवाही, अब लुट रहे मरीज
-तीन माह बाद भी नहीं मिल सकी मरीजों को राहत

भरतपुर. राजकीय मेडिकल कॉलेज का तमगा पा चुके शहर के लोगों को अब तक सरकारी स्तर पर दिल के दर्द की दवा नहीं मिल सकी है। सरकार ने तीन माह पहले आरबीएम में हृदय गहन चिकित्सा इकाई का लोकार्पण भी कर दिया। दिल के मरीजों के उपचार के लिए सीटीएमटी एंड टू-डीई ईको मशीन भी लगाई गई, लेकिन इसका मरीजों को अब तक लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में मरीज बाहर से जांच कराने को विवश हो रहे हैं।
आरबीएम भले ही संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन अब भी दिल संबंधी मरीजों को जयपुर या निजी अस्पतालों में उपचार कराने को विवश होना पड़ रहा है। सरकार ने ऐसे मरीजों को सपने दिखाए थे कि मशीन आने के बाद दिल संबंधी मरीजों का उपचार आरबीएम में ही हो सकेगा। ऐसे में उन्हें जयपुर, दिल्ली या अन्यत्र निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन मशीन लगने के तीन माह बाद भी नतीजा सिफर ही है। चिकित्सा इकाई के लोकार्पण के समय यह भी कहा गया कि मरीजों के उच्च स्तर के उपचार के लिए यहां एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी की सुविधा शुरू कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। कैथलेब खुलने के बाद यहां दिल संबंधी मरीजों का संपूर्ण उपचार हो सकेगा, लेकिन आलम यह है कि तीन माह गुजरने के बाद यहां सीटीएमटी एंड टू-डीई मशीनों तक को चालू नहीं किया गया है।
बिना एसी अटका काम
हृदय संबंधी मरीजों को सुविधा नहीं मिलने के पीछे कारण चिकित्सा इकाई में एसी एवं अन्य उपकरण डिलीप्लेडर का नहीं होना बताया जा रहा है। इस छोटी सी कमी के चलते मरीजों को इस सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। यह आलम तब है, जब यहां से चिकित्सा राज्यमंत्री हैं। इसके बाद भी मरीजों की सुध लेना वाला यहां कोई नजर नहीं आ रहा है।
ऐसे मिलती है कि मरीजों को सुविधा
जानकारी के अनुसार सीटीएमटी मशीन के जरिए यह पता लगाया जाता है कि मरीज मरीज को हार्ट अटेक संबंधी कितनी आशंका है। इसके जरिए मरीज के हार्ट पर दवाब देकर कम्प्यूटर ईसीजी की जाती है। इसके अलावा ईको मशीन से दिल के फंक्शनों का पता लगाया जाता है। इससे यह ज्ञात किया जाता है कि दिल किस तरह पंपिंग कर रहा है या बॉल संबंधी कोई दिक्कत तो नहीं है। यह जांच होने के बाद मरीज का उपचार शुरू किया जाता है, लेकिन दिल के मरीजों को यहां पर्याप्त उपचार नहीं मिल पा रहा।
राज्यमंत्री ने किया था लोकार्पण
आरबीएम अस्पताल में छह जनवरी को चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने हृदय गहन चिकित्सा इकाई का लोकार्पण किया था। अस्पताल प्रशासन के साथ सरकारी स्तर पर भी इसकी खूब वाहवाही लूटी गई, लेकिन तीन माह बाद भी गंभीर किस्म के मरीजों को बाहर पैसा खर्च कर उपचार करना पड़ रहा है। ऐसे मरीजों की जयपुर और दिल्ली जाने की दौड़ खत्म होती नजर नहीं आ रही।
यह भी चर्चा में
आरबीएम चिकित्सालय में महज डॉ. पी.एस. यादव एमडी मेडिसिन एवं डीएम कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं। चर्चा में है कि धौलपुर के राजकीय चिकित्सालय में हाल ही में कॉर्डियो के आईसीयू की स्थापना हुई है। इसका उद्घाटन भी विधायक ने कर दिया है, लेकिन वहां हार्ट विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे में डॉ. यादव के स्थानांतरण की चर्चा जोरों पर हैं। सूत्र बताते हैं कि उनका तबादला हो भी गया है, लेकिन भरतपुर में दूसरा चिकित्सक नहीं होने के कारण उनके तबादले को निरस्त कराने को लेकर प्रयास जारी हैं। धौलपुर जिले से एक विधायक भी डॉ. यादव को अपने यहां बुलाना चाह रहे हैं।
इनका कहना है
आवश्यकता के हिसाब से एक एसी लगवाने को कह दिया है। वह जल्द ही लग जाएगा। इस संबंध में और जानकारी की जाएगी। संबंधित से बात कर इस सुविधा को जल्द शुरू कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. जिज्ञासा साहनी, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी आरबीएम भरतपुर
अब पाइए अपने शहर ( Bharatpur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज