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गोवंश की मदद को उठे हाथ, अब भी सहयोग का इंतजार

locationभरतपुरPublished: Jan 23, 2020 04:20:00 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-नगर निगम के गोवंश आश्रय स्थल का मामला

गोवंश की मदद को उठे हाथ, अब भी सहयोग का इंतजार

गोवंश की मदद को उठे हाथ, अब भी सहयोग का इंतजार

भरतपुर. धर्मप्रेमियों के शहर में अभी भी गोवंश की मदद के लिए समाजसेवियों की कमी नजर आ रही है। हालांकि मदद के लिए कुछ हाथ भी उठे हैं, लेकिन अब भी गोवंश के लिए मदद का इंतजार है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 21 जनवरी के अंक में मेयर साहब…गोवंश आश्रय स्थल बनता जा रहा अब मौत का बाड़ा शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर लगातार हो रही गोवंश की मौत का मामला प्रकाशित किया था। इसके बाद 22 जनवरी को कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी गोवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण कर अव्यवस्थाओं को लेकर चिंता व्यक्त की थी। हालांकि अब भी गोवंश आश्रय स्थल के हाल सुधरे नजर नहीं आ रही है। क्योंकि निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति का खेल शहर के सभी विभागों में पुराने समय से ही चला आ रहा है। निरीक्षण के बाद अफसर भी प्रकरण को भुला देते हैं।
बजरंग गोसेवा समिती एवं स्वास्थ्य मंदिर संस्थान के तत्वावधान में बुधवार को हीरादास स्थित गोवंश आश्रय स्थल पर गोवंश को गुड़ व भूसा खिलाया गया। समिति के उपाध्यक्ष गिरधारीलाल गुप्ता ने कहा कि हमें भी कुछ जिम्मेदारी लेनी होगी तभी गायों का सुरक्षा की जा सकती है। स्वास्थ्य मंदिर के डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल ने लोगों से अपील की है कि हीरादास गौ आश्रय स्थल पर यदि लोग थोड़-थोड़ी मात्रा मे भूसा, चारा, गुड़ इत्यादि अपनी क्षमतानुसार देकर आते हैं तो गायों को भरपूर भोजन मिलेगा। अध्यक्ष गणपत लाल बंसल ने कहा कि यदि आम लोग हीरादास गौ आश्रय स्थल आते जाते रहेंगे तो प्रशासन खुद सचेत रहेगा तथा अव्यवस्थाएं भी सुधरने लगेंगी। संगठन ने भूसा, गुड़ समेत अन्य सामान भी दिया।
150 गोवंश की क्षमता और मौके पर मिला 350 गोवंश

गौशालाओं में सर्दी के प्रभाव से गोवंश की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पशुपालन विभाग ने गोवंश को प्रतिदिन चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश मोबाइल यूनिट को दिए हैं। गोवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण करने पर वहां 350 गोवंश पाया गया, जबकि यह स्थल 150 गोवंश के लिए ही पर्याप्त है। इस स्थिति में सर्दी के मौसम में गोवंश के बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है। इस दौरान कुछ गोवंश बीमार पाया गया, जिसका उपचार मोबाइल टीम ने किया। वहीं गढ़ी सांवलदास गौशाला में निरीक्षण के दौरान गोवंश बीमार मिला और गौशाला परिसर में कीचड़ व गोवंश खुले में था। इसके चलते गौशाला व्यवस्थापक को व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए।
अगर निरीक्षण कराएं तो पता चले हकीकत

विभाग की ओर से जिले की गोशालाओं को लाखों रुपए का बजट अनुदान के माध्यम से दिया जा रहा है, लेकिन कभी भी वास्तविक रूप से इनका निरीक्षण तक नहीं किया जाता है। ऐसे में बेजुवान ही दर्द में तड़पते रहते हैं। चूंकि अफसर फौरी कार्रवाई कर इतिश्री कर देते हैं। अगर आवारा गोवंश की ओर से हमले में कोई घायल या मौत हो जाती है तो खूब हल्ला होता है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान कराने के लिए कभी विचार नहीं किया जाता है। अगर विचार किया जाता तो नगर निगम की ओर से लंबे समय से निर्माणाधीन इकरन की गोशाला का काम ही पूरा करा दिया जाता।
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