कुदरत के बज्रपात से धरी रह गई खुशियां...
भरतपुर. पश्चिमी विक्षोभ से हुई ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेरने के साथ आर्थिक रूप से तोड़ दिया।

भरतपुर. पश्चिमी विक्षोभ से हुई ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेरने के साथ आर्थिक रूप से तोड़ दिया। सरसों, गेहूं, चना व अन्य फसलों के उजडऩे की वजह से किसानों के आंसू बह रहे हैं। इसका असर उन किसानों पर अधिक है जिनके घरों में शादी समारोह व अन्य कार्यक्रम हैं। हंसी-खुशी तैयारियों में जुटे गरीब किसानों को उम्मीद नहीं थी कि इस माह उनके घरों की खुशियों पर कुदरत का ब्रजपात होगा जो दुखी करने के साथ आर्थिक रूप से भी बर्बाद कर देगा। अब तो इन्हें सरकारी मदद ही आसरा दे सकती है। बर्बाद हुआ किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए कोस रहा है। कह रहा है कि हे भगवान अब तो सहारा दे।
इस स्थिति से हताश किसान अपनी पीड़ा को बयां करते देखे जा सकते हैं। माथे पर चिंता की लकीर और मुख से यही निकल रहा है कि अब कैसे बेटी के हाथ पीले होंगे और कैसे बेटे की शहनाई बजेगी। हमारी तो व्यवस्थाएं ही चौपट हो गई। अब कौन हमारी नैया पार लगाएगा। वैसे तो फसल खराबे की मार हजारों किसानों पर पड़ी है, लेकिन इनमें गरीब तबके के किसान भी हैं जिनके घर शादी होनी है।
बयाना इलाके में बारिश और ओलावृष्ठि से खेतों में खड़ी फसल के गिरने से किसान मायूस हैं। गांव दमदमा में एक किसान के घर 26 अप्रेल को बेटे की शादी है, लेकिन फसल खराबे ने आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है। गांव निवासी किसान लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उनके बेटे विश्वेन्द्र की शादी 26 अप्रेल को होगी। उम्मीद थी कि तब तक उनकी फसल तैयार हो जाती और फसल को बेचकर उन्हें शादी में आर्थिक मदद मिलती। लेकिन, कुदरत के कहर से खेतों में उनकी गेहूं की फसल गिरने से नुकसान हो गया है। करीब 3 बीघा खेत में गेहंू की फसल की थी। मौसम बदलने से ओलावृष्टि से फसल गिर गई। फसल गिरने से गेहंू का दाना फूलना बंद कर देगा, जिससे उपज कम रहेगी।
किसान अनिल ने बताया कि करीब 5 बीघा में सरसों की फसल की थी, जो खराब हो गई है। उनके पिता बीरवल को आंखों से दिखाई नहीं देता है। खेतीबाड़ी से ही वह अपना जीवन यापन करते हैं। इस बार बैंक से ऋण लेकर उन्होंने फसल की थी। अब फसल खराब होने से बचत करना तो दूर अब उन्हें बैंक का ऋण चुकाना भी मुश्किल रहेगा। किसान अजय ने बताया कि उसकी 26 मार्च को शादी होनी है। फसल से शादी में राहत मिलती, लेकिन गेहंू की फसल को नुकसान हो गया।
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