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25 साल और ऐसा मिलन…काश! देख लेते बेटे की सूरत तो जी लेते पूरी जिंदगी

locationभरतपुरPublished: Jun 29, 2022 12:40:57 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-अपना घर ने मिलाया

25 साल और ऐसा मिलन...काश! देख लेते बेटे की सूरत तो जी लेते पूरी जिंदगी

25 साल और ऐसा मिलन…काश! देख लेते बेटे की सूरत तो जी लेते पूरी जिंदगी

भरतपुर . पिता की आरजू थी कि एक बार बेटे की सूरत देख लूं तो फिर मैं मौत को भी मात दे दूंगा। जिंदगी के अंतिम दिनों तक उनकी यह अभिलाषा बनी रही, लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं था। पिता की सांसें तो नाउम्मीद होकर साथ छोड़ गई, लेकिन मंगलवार को दूसरे परिजनों की मुराद पूरी हो गई। हम बात कर रहे हैं अपना आश्रम में रह रहे प्रभुजी रमेश उर्फ अभय सिंह की। करीब 25 साल बाद परिजन उन्हें लेने पहुंचे तो सभी आंखें अंसुओं में भीग गईं।
हरियाणा के गुडग़ांव के चांगला डूंगरवास निवासी रमेश मानसिक स्थिति खराब होने के कारण करीब 25 साल पहले घर से निकल आए। इससे पहले रमेश एक कंपनी में काम करते थे। परिजनों ने उनकी काफी तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे में परिजन थक-हारकर बैठ गए, लेकिन रमेश के मिलने की उम्मीद उनके माता-पिता ने नहीं छोड़ी। रमेश को लेने अपना घर आश्रम भरतपुर पहुंचे उनके भतीजे जितेन्द्र ने बताया कि मेरे दादाजी अपने बेटे के लौटने की उम्मीद आखिरी समय तक करते रहे। अंतिम दिनों में उनका कहना था कि एक बार मेरा बेटे से मिलन हो जाए तो मैं 20 साल और जी लूंगा, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। इसी लालसा में उन्होंने प्राण छोड़ दिए। रमेश करीब 32 साल की उम्र में घर से निकले थे। शादी के बाद उनके दो बेटे हुए। इस दौरान बड़े बेटे की उम्र तीन एवं छोटे बेटे की उम्र करीब दो साल थी। अब अपना घर आश्रम से परिजनों को सूचना मिली कि रमेश अपना घर आश्रम भरतपुर में हैं तो परिजनों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। खबर सुनकर परिजनों की आंखें आंसुओं में भीग गईं। इसके बाद रमेश के भाई एवं भतीजे उन्हें लेने पहुंचे। परिजनों का कहना था कि यह सब ईश्वर की कृपा से संभव हो सका। इतने सालों में अन्य परिजनों ने उनके घर लौटने की उम्मीद छोड़ दी थी।
बड़े बेटे उदयपुर में हैं अधिकारी

रमेश के भतीजे जितेन्द्र ने बताया कि उनके बड़े बेटे खुशीराम रुड़की से आईआईटी किए हुए हैं और वर्तमान में खनिज विभाग में अफसर हैं, जबकि छोटे बेटे प्रवीण एक ट्रांसपोर्ट कंपनी पर मुनीम का काम देखते हैं। सूचना पर एक बारगी तो पिता के मिलने की बात पर विश्वास ही नहीं हुआ, लेकिन रमेश को लेने पहुंचे छोटे बड़े प्रवीण उन्हें देखकर अपने आंसू नहीं थाम सके। सूचना पर उनके गांव के सरपंच सहित अन्य लोग भी उन्हें साथ ले जाने के लिए आए।
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