scriptबारिश नहीं आई तो किसानों पर करोड़ों का भार… | If the rain does not come, the farmers will be burdened with crores .. | Patrika News

बारिश नहीं आई तो किसानों पर करोड़ों का भार…

locationभरतपुरPublished: Jun 01, 2020 08:45:08 pm

Submitted by:

pramod verma

भरतपुर. प्री-मानसून की दस्तक ने किसानों का रुख खेतों की तरफ कर दिया है।

बारिश नहीं आई तो किसानों पर करोड़ों का भार...

बारिश नहीं आई तो किसानों पर करोड़ों का भार…

भरतपुर. प्री-मानसून की दस्तक ने किसानों का रुख खेतों की तरफ कर दिया है। किसान खाद-बीजों के साथ खरीफ के बुवाई कार्य में लग गए हैं, लेकिन मानसून देरी से आया तो किसानों की मेहनत पर पानी फिर सकता है। इस स्थिति में 30 फीसदी किसानों को स्वयं के खर्चे लगभग 15 करोड़ रुपए का पानी खरीदकर व्यवस्था करनी होगी, नहीं तो फसल के साथ मेहनत बेकार हो जाएगी। ऐसे में किसान पर अतिरिक्त खर्च आएगा, क्योंकि इन्हें प्रति बीघा 600 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से सवा छह बीघा (करीब एक हैक्टेयर) में एक बार पानी का खर्च 4000 रुपए देना पड़ेगा। अगर दो बार सिंचाई की नौबत आई तो सिंचाई का खर्च दोगुना हो जाएगा।
जिले में 2.15 लाख हैक्टेयर कृषि क्षेत्र है, जहां 3 लाख किसान फसलों की बुवाई करते हैं। खरीफ के सीजन में किसानों ने ज्वार, बाजरा, ग्वार आदि की बुवाई प्री मानसून में शुरू कर दी है। इनमें लगभग 30 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके स्वयं के पास पानी का जरिया नहीं है। इसलिए इन्हें पानी खरीदना पड़ता है। यानि 3 लाख में से लगभग 90 हजार किसानों के पास सिंचाई का जरिया नहीं है। ये केवल बारिश पर निर्भर हैं। ऐसे में इन्हें लगभग 15 करोड़ रुपए का पानी खरीदना पड़ेगा।

ऐसे में एक बार पानी खरीदकर सिंचाई करने से एक किसान पर एक हैक्टेयर में लगभग 4 हजार रुपए का आर्थिक भार पड़ेगा। गौरतलब है कि बीते तीन दिन से शाम को लगातार बारिश हो रही है, जिससे सूखे खेतों में नमी लौटने लगी है। खेतों में नमी देखकर किसान बाजरा, ग्वार, ज्वार,तिल, धान व सब्जियों की बुवाई में लग गए हैं। चूंकि, मानसून जून के अंत में 24-25 तारीख से आने की संभावना है। इस बीच बारिश नहीं हुई तो किसानों को सिंचाई के लिए पानी की जरुरत स्वयं के खर्चे से पूरी करनी होगी।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह का कहना है कि किसानों ने खेतों में बुवाई शुरू कर दी है। लेकिन, मानसून के 24-25 जनू तक आने की संभावना है। ऐसे में किसानों को बुवाई के बाद पानी की जरुरत पड़ेगी। अगर बारिश नहीं आई तो फसल खराब हो जाएगी। इसलिए किसानों को सिंचाई की व्यवस्था अपने स्तर पर करनी पड़ेगी।
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