पुलिस से उठा भरोसा…मतलब खाकी के अंदर छिपी है दबाव की कहानी पिछले चार साल के आंकड़ों और केसों पर नजर डालें तो सामने आता है कि अवैध खनन व राज्य सरकार को राजस्व का चूना लगाने वालों को आश्रय देने में संबंधित हर विभाग दोषी रहा है। जहां खनिज विभाग की ओर से थाने में मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई में इतिश्री की जाती रही है तो वहीं दूसरी ओर पुलिस की ओर से एकाध मुकदमे में गिरफ्तारी कर खानापूर्ति कर ली जाती है। ताजा मामलों पर देखा जाए खुद खनिज विभाग के अधिकारी भी दावा कर चुके हैं कि पिछले तीन मुकदमों में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं खाकी के अंदर भी रसूखदारों के दबाव की कहानी छिपी हुई है। इसलिए खननमाफियाओं के कार्रवाई में पुलिस पर दबाव बरकरार बना रहता है। पूर्व में पुलिस व खनिज विभाग के बीच ऐसी कार्रवाई को लेकर विवाद भी होते रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान अवैध खनन के एक मामले में विवाद के बाद जिला कलक्टर व एसपी के पास भी एक अधिकारी ने शिकायत की थी, परंतु हमेशा की तरह रसूख के दबाव में मामला रफा-दफा हो गया।
नांगल क्रशर जोन में दबंगों का दाव ऐसा…रास्ते पर विवाद जस का जस पहाड़ी के नांगल क्रशर जोन से आने वाले सरकारी रास्ते को धौलेट गांव में पिछले दिनों को दबंगों ने काट दिया था। पत्थर डालकर रास्ते को अवरुद्ध कर दिया था। इससे डंपर, ट्रेक्टरों का आवागमन बंद होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक यह विवाद भी रसूख के दबाव में सुलझ नहीं सका है। इस मामले में क्रशर संचालकों ने बताया है कि रास्ते के नाम पर हो अवैध वसूली की शिकायत आईजी से की गई थी। शिकायत के बाद अवैध वसूली रुक गई है उसको लेकर दबंग रसूखदारों की ओर से दबाव बनाने के लिए रास्ते को काटा गया है। इसमें रास्ता बनाने के लिए भी क्रशर संचालकों में भय बनाने की कोशिश की जा रही है। जब इस प्रकरण को लेकर अधिकारियों से बात की तो ज्यादातर ने पल्ला झाड़ लिया।
-गंगोरा मे ढही खान पूर्व में निरस्त होने के बाद खनिज विभाग के अधीन है इसमें चोरी से अवैध खनन किया जा रहा था। खान ढहने के बाद जांच की गई जो अवैध पाई गई। नाम साफ होने के बाद नोटिस जारी कर वसूली करेंगे। पूर्व में पुलिस में तीन मुकदमे दर्ज कराए गए। उनमें कुछ नहीं हुआ है।
तेजपाल गुप्ता खनिज अभियंता भरतुपर