इसके तहत झारखण्ड के आदिवासी किसानों के कौशल एवं क्षमता विकास और सरसों की उन्नत उत्पादन तकनीकी की जानकारी देने के लिए सरसों अनुसंधान निदेशालय में 20-23 फरवरी 2020 तक चार दिवसीय आदिवासी किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निदेशक डॉ. राय ने कहा कि सरसों की उन्नत खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देने का कार्य किया गया। उन किसानों में से चयनित किसानों को सरसों की खेती पूर्ण वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर करने के लिए प्रेरित किया।
आदिवासी उप योजना के नोडल अधिकारी एवं प्रशिक्षण समन्वयक प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य आदिवासी किसानों की खेती से आमदनी बढ़ाना है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया वैज्ञानिकों की बताई गई किसी भी तकनीकी को अपनाने से उत्पादन पर क्या प्रभाव रहा उसका फीड बैक अनुसंधान निदेशालय को देें। इससे किसानों की परिस्थितियों के मुताबिक अनुसंधान में बदलाव किया जा सके।
इस दौरान उन्नत किस्में, बीज उत्पादन तकनीक, बीज अधिनियम, अजैविक कारकों का प्रभाव एवं प्रबन्धन, कीट एवं रोग प्रबन्धन, जैविक खाद, आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में झारखण्ड के रांची एवं गुमला जिले के 35 आदिवासी किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।