जिस पर रिजर्वेशन कराने पहुंचे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही कुछ नजारा कई दिन से यहां सारस चौराहे स्थित रेलवे आरक्षण केन्द्र पर नजर आ रहा है। यहां करीब पन्द्रह दिन से अधिक समय हो गया, रेलवे का खुद इंटरनेट ठप पड़ा हुआ है।
वहीं, दूसरी लाइन बीएसएनएल की भी बीच-बीच में दगा देने से यहां रिजर्वेशन कराने पहुंच रहे लोगों को कई बार निराश होकर रेलवे स्टेशन की दौड़ लगानी पड़ रही है। नेट दिक्कत करने से रेलवे की आय को भी नुकसान पहुंच रहा है। आरक्षण केन्द्र से प्रतिदिन औसतन करीब 150 यात्री टिकट करवाते हैं जिससे करीब 50 से 60 हजार रुपए की आय होती है। नेट खराब होने से यह आय घटकर करीब 20 हजार पर पहुंच गई है।
तेज हवा के झोंके में टूटा टावर
सारस चौराहे स्थित रेलवे आरक्षण केन्द्र के भवन पर रेलवे का खुद का नेटवर्क के लिए टावर लगा हुआ है। यह टावर गत 3 अक्टूबर को तेज हवा के झोंके में धराशायी हो गया। उसके बाद से आरक्षण केन्द्र की मुख्य लाइन ठप हो गई, वर्तमान में उसे बीएसएनएल का सहारा लेना पड़ रहा है। लेकिन बीएसएनएल की भी लाइन बीच-बीच में कनेक्टिविटी छोड़ जाता है। जिससे रिजर्वेशन कराने आए लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
सारस चौराहे स्थित रेलवे आरक्षण केन्द्र के भवन पर रेलवे का खुद का नेटवर्क के लिए टावर लगा हुआ है। यह टावर गत 3 अक्टूबर को तेज हवा के झोंके में धराशायी हो गया। उसके बाद से आरक्षण केन्द्र की मुख्य लाइन ठप हो गई, वर्तमान में उसे बीएसएनएल का सहारा लेना पड़ रहा है। लेकिन बीएसएनएल की भी लाइन बीच-बीच में कनेक्टिविटी छोड़ जाता है। जिससे रिजर्वेशन कराने आए लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
नेट ब्रेक होने पर मुंबई से जुड़ती है लाइन
आरक्षण केन्द्र का एक बार नेट ब्रेक होने पर करीब 15 से 20 मिनट कार्य ठप हो जाता है। नेट बंद होने पर वापस जोडऩे के लिए रेलवे कर्मचारी को मुंबई संपर्क करना पड़ता है। इसमें प्रक्रिया में करीब 15 से 20 मिनट लग जाते हैं। इससे तत्काल के समय नेट ठप होने पर लोगों को आरक्षित सीट से हाथ धोना पड़ता है।