इस वर्ष फरवरी में एक स्कूली बस से खंभे से लटकते डिश के तार खिंचकर टूट गए थे, गनीमत रही कि स्कूली बच्चों के साथ हादसा टल गया। बावजूद इसके जिम्मेदार कार्रवाई में रुचि नहीं दिखाते। हालांकि, इन्हें परमीशन मिलेगी नहीं फिर भी अनुमति लेना अनिवार्य है।
शहर में बिजली आपूर्ति का जिम्मा भरतपुर इलेक्ट्रीसिटी (बीईएसएल) का है। कंपनी के करीब 29700 छोटे-बड़े खंभों पर बिजली की लाइनें डली हैं। इनमें हाईटेंशन लाइन के लगभग 1800 खंभे, एलटी के 25500 और लोहे के टावर करीब 1000 हैं, जहां से लाइनें निकलती हैं। फिर भी बिजली के बारे में अनुभवहीन डिश कर्मी खंभों पर चढ़कर तार डालने का काम करते हैं। ऐसे में उनकी जान को खतरा है। साथ ही तारों से किसी वाहन के टकराने से अन्य लोगों के साथ भी हादसा हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि बीईएसएल या जेवीवीएनएल से परमीशन लेनी चाहिए। अगर, डिश का तार टूटकर बिजली लाइन से टकरा गया तो घरों के विद्युत उपकरण फुंकने के साथ राहगीर करंट की चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, ये तो डिश का बॉक्स ही लगा देते हैं। ऐसे में सबसे अधिक खतरा हाईटेंशन लाइनों पर है। ये स्थिति रीको क्षेत्र, हीरादास, मोतीझील, कंपनी बाग आदि स्थानों पर देखी जा सकती है। इसके अलावा एलटी लाइनों के खंभों पर डिश के तार सर्वाधिक देखने को मिलेंगे।
यह स्थिति शहर के गली-मौहल्लों में देखी जा सकती है। इन स्थानों पर भी करंट प्रवाहित रहता है। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है। गौरतलब है कि 24 फरवरी 2019 को पाईबाग क्षेत्र में एक स्कूली बस डिश के झूलते तारों के चलते दुर्घटना का शिकार हो गई थी। बस में स्कूली बच्चे सवार थे। गनीमत रही कि डिश का तार बस पर नहीं गिरा, जिससे हादसा टल गया। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने हादसे से सबक नहीं लिया। अब भी चारों ओर डिश के तारों का झुंड और लटकते हुए तार देखे जा सकते हैं।
बीईएसएल भरतपुर में जनसंपर्क अधिकारी सुधीर प्रताप सिंह का कहना है कि शहर में विद्युत खंभों पर बांधकर डिश के तारों की लाइन डालना नियम विरुद्ध है। लगभग सभी स्थानों पर तारों का जाल फैला है। नीचे झूलते तार किसी वाहन की लपेट में आएं तो बिजल प्रवाहित लाइन से भिड़कर हादसा हो सकता है। एक हादसा पाईबाग क्षेत्र स्कूली बस में हो चुका है।