खुद संभागीय श्रम आयुक्त की मौजूदगी में लिया ऐसा निर्णय ज्ञापन में कहा है कि 23 जून 2020 को संभागीय श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में नगर निगम आयुक्त की ओर से बैठक कराई गई, इसमें एक जनवरी 2018 से लागू न्यूनतम मजदूरी 213 रुपए प्रतिदिन से भुगतान कराने का निर्णय तो लिया गया लेकिन जून 2020 से एक जनवरी 2018 के मध्य श्रमिक को जो छह रुपए प्रतिदिन प्रति श्रमिक को कम राशि का भुगतान कराया गया।इसके अतिरिक्त एक मई 2019 से श्रम विभाग की ओर से लागू की गई न्यूनतम मजदूरी 225 रुपए से भुगतान कराने के संदर्भ में कोई निर्णय नहीं कराया गया और ना ही इस बिन्दु पर कोई गौर किया गया। इसके अलावा पिछले वर्षों से ठेके के श्रमिकों का पीएफ कटौती राशि उनके खाते में जमा नहीं कराई गई, जिस पीएफ की राशि को कर्मचारी के खाते में डालने का कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसी प्रकार आयुक्त नगर निगम व श्रम संभागीय आयुक्त की ओर से पिछले कई वर्षों से सफाई श्रमिकों की एवज में संवेदक की ओर से नगर निगम से किए गए भुगतान एवं निगम की देखरेख में सफाई कर्मचारी को दिए गए भुगतान एवं उनकी वेतन से की गई कटौतियां इसकी पीएफ, ईएसआई का अवलोकन नहीं किया गया। जबकि वास्तविकता यह है कि प्रति कर्मचारी का पीएफ की राशि काटने के बाद भी बहुत सारे सफाई कर्मचारियों की पीएफ राशि उनकी खाते में जमा नहीं कराई गई। जिलाध्यक्ष महेश वाल्मीकि नेतृत्व में मेयर से प्रतिनिधिमंडल में अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। जबकि इस प्रकरण को लेकर नगर निगम आयुक्त से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन उठाना ही उचित नहीं समझा।