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ढाई साल से प्रति सफाई श्रमिक छह रुपए कम हो रहा भुगतान, सीएम के सामने उठा मुद्दा

locationभरतपुरPublished: Jul 07, 2020 06:51:17 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-राष्ट्रीय सफाई मजदूर संघ ने दिया नगर निगम के मेयर को ज्ञापन, मुख्यमंत्री ने मेयर की बात को माना

ढाई साल से प्रति सफाई श्रमिक छह रुपए कम हो रहा भुगतान, सीएम के सामने उठा मुद्दा

ढाई साल से प्रति सफाई श्रमिक छह रुपए कम हो रहा भुगतान, सीएम के सामने उठा मुद्दा

भरतपुर. राष्ट्रीय सफाई मजदूर संघ ने नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार को ज्ञापन देकर श्रम विभाग की ओर से निर्धारित न्यूनतम वेतन सफाई कर्मचारियों को दिलाने की मांग की। मेयर ने यह मांग मुख्यमंत्री के साथ हुई वीसी में भी उठाई। ऐसे में सीएम ने भी मेयर की बात माना और जल्द ही निराकरण का आश्वासन दिया।
ज्ञापन में उल्लेख किया है कि वर्ष 2017 में दिनांक 14 फरवरी 2017 को 634 सफाई बीटों का कार्य आदेश 338 रुपए प्रतिदिन प्रति श्रमिक की दर से संवेदक को दिया गया था। नगर निगम में 1430 अनुमोदित सफाई बीट बनाई गई, इसकी सफाई के लिए 620 स्थाई कर्मचारियों एवं 634 अस्थाई सफाई ठेके कर्मचारी लगाए हुए हैं। इस समय संवेदकों को कार्य आदेश दिया गया था। उस समय श्रम विभाग की न्यूनतम श्रमिक वेतन 207 रुपए था, लेकिन संवेदकों की ओर से अस्थाई श्रमिकों को 189 एवं 203 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान कराया जाता था। एक जनवरी 2018 को श्रम विभाग राजस्थान सरकार की ओर से अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 213 रुपए तय किया गया था, लेकिन नगर निगम ने संवेदकों से श्रमिकों को मई 2020 तक 207 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान कराया था। ऐसे में छह रुपए प्रतिदिन कम का भुगतान ढाई वर्ष से अधिक समय से कराया जा रहा है। जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने मार्च 2019 में अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 12 रुपए बढ़ाकर 25 रुपए निर्धारित कर 5850 रुपए प्रति श्रमिक प्रतिमाह दो मई 2019 से लागू किया गया। इसकी अधिसूचना श्रम विभाग ने छह मार्च 2019 को जारी की, लेकिन एक मई 2019 से लेकर आज तक सफाई श्रमिकों को वर्ष 2017 की निर्धारित न्यूनतम वेतन के अनुसार 207 रुपए की दर से भुगतान कराया जा रहा है। जो एक सफाई श्रमिकों का लम्बे स्तर पर किया गया आर्थिक शोषण है। इसके अलावा शहर की 1430 वीटों की सफाई का कार्य 450 स्थाई कर्मचारियों से और ठेके लेवर के करीब एक हजार कर्मचारियों से शहर की 1430 बीटों की सफाई कराई जा रही है, जो उनका एक तरह से शोषण है, जबकि श्रम विभाग के नियम के अनुसार निर्धारित बीट के क्षेत्रफल से अधिक या अधिक समय तक कार्य कराया जाता है तो उन श्रमिकों को दोगुना दर से भुगतान करना होता है।
खुद संभागीय श्रम आयुक्त की मौजूदगी में लिया ऐसा निर्णय

ज्ञापन में कहा है कि 23 जून 2020 को संभागीय श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में नगर निगम आयुक्त की ओर से बैठक कराई गई, इसमें एक जनवरी 2018 से लागू न्यूनतम मजदूरी 213 रुपए प्रतिदिन से भुगतान कराने का निर्णय तो लिया गया लेकिन जून 2020 से एक जनवरी 2018 के मध्य श्रमिक को जो छह रुपए प्रतिदिन प्रति श्रमिक को कम राशि का भुगतान कराया गया।इसके अतिरिक्त एक मई 2019 से श्रम विभाग की ओर से लागू की गई न्यूनतम मजदूरी 225 रुपए से भुगतान कराने के संदर्भ में कोई निर्णय नहीं कराया गया और ना ही इस बिन्दु पर कोई गौर किया गया। इसके अलावा पिछले वर्षों से ठेके के श्रमिकों का पीएफ कटौती राशि उनके खाते में जमा नहीं कराई गई, जिस पीएफ की राशि को कर्मचारी के खाते में डालने का कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसी प्रकार आयुक्त नगर निगम व श्रम संभागीय आयुक्त की ओर से पिछले कई वर्षों से सफाई श्रमिकों की एवज में संवेदक की ओर से नगर निगम से किए गए भुगतान एवं निगम की देखरेख में सफाई कर्मचारी को दिए गए भुगतान एवं उनकी वेतन से की गई कटौतियां इसकी पीएफ, ईएसआई का अवलोकन नहीं किया गया। जबकि वास्तविकता यह है कि प्रति कर्मचारी का पीएफ की राशि काटने के बाद भी बहुत सारे सफाई कर्मचारियों की पीएफ राशि उनकी खाते में जमा नहीं कराई गई। जिलाध्यक्ष महेश वाल्मीकि नेतृत्व में मेयर से प्रतिनिधिमंडल में अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। जबकि इस प्रकरण को लेकर नगर निगम आयुक्त से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन उठाना ही उचित नहीं समझा।

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