दोनों डिपो से विभिन्न रूटों पर 130 बसों का संचालन होता है। इसके चलते यहां से निकलने वाली बसें राजस्थान में 39 राष्ट्रीय राजमार्गों से गुजरती हैं, जहां पहले टोल प्लाजा पर लंबी कतार में लगना पड़ता था। अब फास्टटैग प्रक्रिया से यात्रियों का सफर सुलभ हो गया है।
रोडवेज प्रबंधन ने बैंक के माध्यम से पेमेंट कराकर बसों को फास्टटैग से जोड़ दिया है। अब बसों के शीशों पर लगा फास्टटैग टोल पर भुगतान करते हुए निकल जाएंगी। वहीं फास्टटैग का बैलेंस खत्म होने पर रोज्ञवेज प्रबंधन इन्हें बैंक से रिचार्ज कराता रहेगा। सूत्रों का कहना है वैसे दोनों डिपो की सभी बसे फास्टटैग से जुड़ गई हैं। इसमें लोहागढ़ डिपो 79 बसें शामिल हैं, लेकिन इस डिपो की दो बसों पर गलत टैग लग गया है। बस संख्या 1823 को 1828 और बस संख्या 1913 को 113 संख्या अंकित हो गया है। जबकि, सही फास्टटैग 1823 व 1913 होना चाहिए। सुधार किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि टोल प्लाजाओं पर टोल कलेक्शन सिस्टम से होने वाली परेशानियों का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू किया है। यह आरामदायक साबित हो रहा है।फास्टटैग को वाहन के सामने वाले कांच पर लगाया जाता है।
इसमें आपके फास्टटैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क काट लिया जाता है और बस बिना वहां रुके टोल का टेक्स देते निकल जाती है। जिस तरह से मोबाइल रिचार्ज करते हैं ठीक उसी तरह से फास्टटैग भी रिचार्ज किया जाता है। लोहागढ़ डिपो के मुख्य प्रबंधक घनश्याम गौड का कहना है कि सभी बसों पर फास्टटैग लग गए हैं, लेकिन लोहागढ़ की दो बसों पर उनके नंबर के हिसाब से फास्टटैग नहीं डाला गया। मतलब गलत हो गया है। बैंक सुधार करेगा।