जेल है…मेरे और मेरे बाप के नाम करा लेंगे रजिस्ट्री जब इस लाइव वीडियो की पड़ताल की गई तो सामने आया कि लाइव वीडियो में एक बाहरी शख्स भी जुड़ा हुआ है। हुक्का व शराब सेवन के कारण आवासित आपस में तरह-तरह की बात करते दिखाई पड़ रहे हैं। इसमें एक आवासित दूसरे एक आवासित को जेल का मुखिया बताते हुए उनके जन्मदिन पर पार्टी देना बता रहा है। जबकि एक आवासित कह रहा है कि यह कोई जेल है, यहां तो सबकुछ ऐसे ही चलेगा। भले ही कुछ भी हो जाए, जेल हमारी और हमारे बाप की, करा लेंगे इसकी रजिस्ट्री।
मतलब अंदर तक आसानी से पहुंच रहे मादक पदार्थ इस लाइव वीडियो के सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि राजकीय बाल संप्रेषण गृह का मकसद भले ही आवासितों में सुधार के साथ उन्हें अपराध के दलदल से बाहर निकालना है, लेकिन यहां आसानी से मादक पदार्थ व मोबाइल अंदर तक पहुंच रहे हैं। बाहर इतनी सिक्योरिटी होने के बाद आसानी से प्रतिबंधित सामग्री का पहुंचना भी बड़ी बात है। यह जांच का भी विषय है कि आखिर यह कितने महीने व कितने सालों से चल रहा है। आखिर किस कर्मचारी या अधिकारी की मिलीभगत से यह सारा खेल चल रहा था।
हर बार जांच के नाम पर मिलती है क्लीन चिट बाल संप्रेषण गृह में लापरवाही यह पहला मामला नहीं है कि जब प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। इससे पहले भी कुछ साल पहले जब राजकीय बाल संप्रेषण गृह जवाहर नगर में किराए के भवन में संचालित था, उस समय आवासितों के साथ यौन शोषण के आरोप का मामला सामने आया था। अब जब यह सरसों अनुसंधान केंद्र पीछे खुद के भवन में संचालित हो रहा है तो कभी गृह से खिड़कियां तोड़कर तो कभी कुछ तोड़कर आवासितों के भागने के दर्जनों केस पिछले कुछ साल के अंदर सामने आ चुके हैं। हर बार जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है और आसानी से क्लीन चिट मिल जाती है।
-बिल्कुल यह लाइव वीडियो दो दिन पुराना है। जिसके माध्यम से यह वायरल हुआ है उसे अन्य जेल/गृह में शिफ्ट कराने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। किसके सहयोग से यह प्रतिबंधित सामग्री अंदर तक पहुंची और कौन-कौन इसमें शामिल है। इसकी जांच कराई जा रही है। निदेशक को भी इस प्रकरण से अवगत कराया गया है। दोषियों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई की जाएगी।
पूरन सिंह
सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग