scriptKeoladeo National Park: जल्द बरसात नहीं हुई तो पक्षी छोड़ सकते हैं नेस्टिंग | Keoladeo National Park: Nesting Can Leave Bird if Not So Raining | Patrika News

Keoladeo National Park: जल्द बरसात नहीं हुई तो पक्षी छोड़ सकते हैं नेस्टिंग

locationभरतपुरPublished: Jul 16, 2019 11:49:59 pm

Submitted by:

rohit sharma

मानसून की बेरुखी ने आम लोगों को जहां निराश कर रखा है, वहीं विश्व-विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में डेरा जमा रहे पक्षियों के सामने भी संकट खड़ा हो रहा है।

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Keoladeo National Park

भरतपुर. मानसून की बेरुखी ने आम लोगों को जहां निराश कर रखा है, वहीं विश्व-विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में डेरा जमा रहे पक्षियों के सामने भी संकट खड़ा हो रहा है। बरसात नहीं होने से नेस्टिंग कर रहे पक्षियों के ठिकाना छोडऩे की आशंका बनी हुई है। इसको देखते हुए घना प्रशासन ने चंबल लिफ्ट परियोजना से रिजर्व पानी को सोमवार देर शाम से लेना शुरू कर दिया है। फिलहाल पानी को घना के ‘डीÓ ब्लॉक में छोड़ा जा रहा है, जहां सर्वाधिक संख्या में पक्षी नेस्टिंग कर रहे हैं। घना अधिकारियों का कहना है कि अगर अगले कुछ दिन में बरसात नहीं हुई तो संकट गहरा सकता है। मानसूनी बरसात पार्क के लिए जरुरी है। गौरतलब रहे कि घना को हर साल करीब 550 एफसीएफटी पानी की जरुरत पड़ती है। मुख्यतय पानी की जरुरत मानसूनी बरसात और चंबल लिफ्ट परियोजना के बाद गोवर्धन ड्रेन से पूरी होती है। इसमें गोवर्धन ड्रेन में पानी एनसीआर में अच्छी बारिश होने पर ही आता है। वहीं, चंबल लिफ्ट परियोजना से एक सीजन में करीब 62 एमसीएफटी पानी ही मिल सकेगा।

घना में पक्षी नेस्टिंग करने में जुटे

उद्यान में इन दिनों ज्यादातर स्थानीय पक्षी नेस्टिंग करने में जुटे हुए हैं। अच्छी संख्या में पक्षी पार्क के ‘डीÓ ब्लॉक में दिखाई दे रहे हैं। इसको देखते पहले चंबल का पानी इसी ब्लॉक में छोड़ा है। वहीं, ओपन बिल स्टॉर्क पक्षी अंडे दे चुका है और जल्द बच्चे बाहर घना की खुली हवा में उड़ते नजर आएंगे। घना में प्रवासी पक्षियों की आवाजाही सितम्बर से शुरू होती जाती है।

गोवर्धन से मिला था भरपूर पानी

गत वर्ष इलाके में मानसून की ठीक-ठाक बरसात रही थी। जबकि एनसीआर में अच्छी बरसात होने से अकेले गाोवर्धन कैनाल से घना को 695 एमसीएफटी पानी मिला था। जो उसकी औसत क्षमता से अधिक था। वहीं, चंबल से शुरुआत में केवल 10 एमसीएफटी पानी लिया गया था।

चंबल को छोड़ पानी के सभी स्रोत अनिश्चित

घना के लिए जीवनदायनी रहा पांचना बांध का पानी अब अनिश्चित बना हुआ है। ये पानी अब पड़ोसी जिले करौली में अच्छी बरसात होने पर ही आता है। वर्ष 2007 और 06 में पड़े सूखे के बाद पांचना बांध से नियमित पानी मिलना बंद हो गया है। अब घना प्रशासन चंबल लिफ्ट परियोजना पर निर्भर है। इस परियोजना से अक्टूबर 2011 से पानी मिलना शुरू हो गया था। चंबल परियोजना से पानी की तय सीमा को देखते हुए सरकार ने गोवर्धन ड्रेन से पानी लाने की योजना बनाई थी। करीब 44 करोड़ की लागत से बिछी पानी लाइन से घना को ड्रेन से पहली बार 2012-13 मेें 8 एमसीएफटी पानी मिला। गोवर्धन ड्रेन का भी पानी निश्चित नहीं है, एनसीआर में अधिक बरसात होने पर ही गोवर्धन ड्रेन का पानी भरतपुर क्षेत्र में पहुंचता है।
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