उनका मानना है कि गंगा जमुना संस्कृति को सभी निर्वहन करें। गरीब तबके की कोई भी आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शादी के बंधन से बांध सके। इसलिए गरीब परिवार की 10 कन्याओं का विवाह कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो भी चीज जिसको भी भारी पड़ रही हो, वह मुझे दे और मैं उसकी शादी करारूंगी।
उन्होंने बताया कि शादी समारोह में 1100000 रुपए का खर्च आता है, बाकी दानदाता दे देते हैं। जो भी मुझे मिलता है वर्ष भर में मैं शादी में लगा देती हूं। उन्होंने वधू पक्ष के लिए जरूरत का सभी सामान दहेज में दिया। यह परंपरा वह सभी त्योहारों पर निभाएंगी, जिस भी त्योहार पर जो भी सामान देना होता है, वधू पक्ष के परिवार की ओर से जो भी दिया जाता है वह सभी देंगी।
उनका कहना है कि जिसको मैं अपने दरवाजे से जिसे विदा कर रही हूं वह मेरी बेटी है। आज से मैं उसकी अभिभावक हूं। उसके सुख और दुख में मैं साथ रहूंगी।