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लाखों रुपए की जांच मशीनें फिर भी सुविधाओं से दूर हैं मरीज

locationभरतपुरPublished: Mar 11, 2019 09:34:46 pm

Submitted by:

pramod verma

भरतपुर. संभाग स्तरीय आरबीएम अस्पताल में मेडिकल कॉलेज से संबंधित नए भवन में उपचार की गतिविधियां प्रारम्भ हो गई हैं।

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भरतपुर. संभाग स्तरीय आरबीएम अस्पताल में मेडिकल कॉलेज से संबंधित नए भवन में उपचार की गतिविधियां प्रारम्भ हो गई हैं। यहां हस्तांतरित ओपीडी में उपचार और जांच के लिए मरीजों की भीड़ देखी जा सकती है। मगर मरीजों की जांच अब भी गिनी-चुनी और पुरानी मशीनों से की जा रही है जो पर्याप्त नहीं है। जबकि, यहां लाखों रुपए की नई जांच मशीनें आ चुकी हैं जो धूलफांक रही हैं। इस कारण पुरानी मशीनों से जांच करा रहे मरीजों को जांच रिपोर्ट लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।
नए भवन में पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, ऑटोएनालाइजर, बैकमैन फुली ऑटोमैटिक एनालाइजर, एल्जा रीडर आदि करीब 90 लाख रुपए की नई मशीनें हैं। इनसे कई गुना अधिक जांच हो सकती हैं, जो पहले से संचालित मशीनों से नहीं हो सकती। पुरानी मशीनों से एक बार में 72 जांच की जा सकती हैं। इससे अन्य मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। जबकि, नई मशीनों से लगातार और कई गुना अधिक जांच की जा सकती है।
मरीजों की सुविधा के लिए पैथोलॉजी में सीबीसी की पार्ट-5, पार्ट-6 व पार्ट-7, ईएसआर. ऑटो एनालाइजर, बैकमैन फुली ऑटोमैटिक एनालाइजर, टोटल प्रोटीन, एफएनएसी और माइक्रोबायोलॉजी में एल्जा रीडर की नई मशीन उपलब्ध है। इनसे लगातार जांच के साथ मरीजों को सुविधा होगी। अस्पताल में अब प्रतिदिन 200 से 250 मरीज जांच को आ रहे हैं। नई मशीनें सुचारू होती तो मरीजों को समस्या नहीं होती।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को अब भी बेहतर और कम समय में जांच की सुविधा से जूझना पड़ रहा है। यहां सबसे अधिक परेशानी थायराइड मरीजों को है। हालांकि, अस्पताल में एक लैब संचालित है जहां से जांच रिपोर्ट अगले दिन मिलती है। जबकि, अस्पताल में अन्य नई जांच मशीनें भेजी गई हैं। केवल थायराइड की टी-3, टी-4 और टीएसएच मशीन नहीं भेजी गई। इससे मरीज परेशान होते हैं।
आरबीएम में सेंटर लैब इंचार्ज बच्चन सिंह मदेरणा का कहना है किअस्पताल में मेडिकल कॉलेज की सुविधाएं मिलने लगी हैं। इसके तहत जांच मशीन और जांचों का दायरा बढ़ जाएगा। लेकिन लैब टैक्निशियनों का अभाव जांच प्रक्रिया में बाधा बन सकता है। फिलहाल पांच लैब टैक्निशियनों पर जांच निर्भर है। जब नई मशीनें शुरू होंगी तो 20 लैब टैक्निशियनों की जरूरत होगी। इनके अभाव में कार्य भार बढऩे के साथ बाधा होने की संभावना रहेगी।
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