जिले में लगभग 1.75 लाख किसानों ने 1.5 लाख हैक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की उपज की। मगर, बारिश और अंधड़ से गिरे गेहूं के दानों की गुणवत्ता कम कर दी। जिले में ऐसे 06 हजार किसान हैं, जिनके करीब 01 लाख क्विंटल गेहूं की गुणवत्ता कम हो गई। ऐसे में खरीद के मापदंडों से बंधे एफसीआई और राजफैड बिना सरकार के आदेश के कम गुणवत्ता वाला गेहूं खरीदने में असमर्थ थे। इस कारण किसान परेशान थे।
प्राकृतिक आपदा से खराब हुए गेहूं की खरीद को लेकर खाद्य सचिव मुग्धा सिन्हा ने केंद्र सरकार को अवगत कराया था। गत शुक्रवार को इसकी अनुमति मिली तो सचिव सिन्हा ने इसकी सूचना संबंधित विभागों को दी है। अब कम गुणवत्ता वाला गेहूं खरीदा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बेमौसम बारिश से प्रभावित जिलों के किसानों को राहत देने के लिए केन्द्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम व राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के सहयोग से खरीद केन्द्रों पर आ रहे हैं। गेहूं का सेम्पल सर्वे करवाया था। कोटा संभाग में 15 मार्च से तथा प्रदेश के अन्य संभागों में 1 अप्रेल से किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद की जा रही है।
हालांकि सहकारी समितियों के माध्यम से राजफैड ने भरतपुर, कुम्हेर, कामां, डीग, नगर, नदबई, वैर व बयाना में गेहूं की खरीद की तैयारी कर रखी है। वहीं एफसीआई रूपवास व जुरहरा में गेहूं की खरीद कर रहा है। एफसीआई इन केंद्रों पर अब तक करीब 97 हजार क्विंटल गेहूं गुणवत्ता वाला खरीदा है। अब एफसीआई 70 प्रतिशत तक खराब गेहूं को भी खरीदेगा। वहीं राजफैड तय मापदंडों के अनुरूप ही गेहूं लेगा।
भरतपुर में एफसीआई के प्रबंधक वीरेंद्र मीणा ने बताया कि बारिश व ओलावृष्टि से चमक कम हो चुके गेहूं की खरीद करने के निर्देश खाद्य सचिव से मिले हैं। भरतपुर जिले में 10 से 70 प्रतिशत खराब हो चुके गेहूं को एफसीआई अब समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। वहीं राजफैड के क्षेत्रीय अधिकारी उमेशचंद शर्मा ने बताया कि जब तक हमें निर्देश नहीं मिलते हैं तब तक मापदंडों के तहत ही गेहूं की खरीद की जाएगी। अगर निर्देश मिलते हैं तो मैं सभी केंद्रों पर बारिश से खराब हुए गेहूं की खरीद शुरू करा दूंगा।