गौरतलब है कि लोहागढ़ का अपना इतिहास रहा है, जिसकी जानकारी के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का यहां आना होता है। यहां की धरोहरों को संवारने के उद्देश्य से विभाग ने करोड़ों रुपए खर्च कर संरक्षण व विकास कार्य कराया। इनमें संग्रहालय, किशोरी महल आदि के साथ शहर में मिट्टी के परकोटे के आसपास बने ऐतिहासिक दस दरवाजों को भी शामिल कर उद्धार कराया।
अब दरवाजों पर शिला पट्ट व नक्शा लगाना है, लेकिन अन्य गेटों पर जगह का अभाव है इसलिए यहां नक्शा नहीं लगाए जाएंगे। इसलिए गोवर्धन गेट परिसर में शिला पट्ट के साथ नक्शा लगाया गया है। अन्य गेटों पर इतिहास लिखी पट्टिकाएं ही लगाई जा रही हैं।
पुरातत्व विभाग भरतपुर के संभागीय अधीक्षक सोहनलाल चौधरी का कहना है कि दस दरवाजों के जीर्णोद्धार का कार्य हो चुका है। अब सभी दरवाजों पर इतिहास लिखी पट्टिका लगाई जाएगी। वहीं गोवर्धन गेट परिसर में शिला पट्टिका के साथ नक्शा लगाया है। अन्य गेटों पर जगह का अभाव है इसलिए केवल पट्टिका लगाएंगे।