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संचालक मंडल व प्रबंधन की आपसी खींचतान में फिर अटकी बैठक

locationभरतपुरPublished: May 18, 2021 03:05:29 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भ्रष्टाचार, कोरम के अभाव में स्थगित हुई संचालक मंडल की बैठक, चेयरमैन ने राज्यमंत्री डॉ. सुभाष को ज्ञापन भेजकर की शिकायत

संचालक मंडल व प्रबंधन की आपसी खींचतान में फिर अटकी बैठक

संचालक मंडल व प्रबंधन की आपसी खींचतान में फिर अटकी बैठक

भरतपुर. द सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के प्रबंधन की ओर से उन्हें ही ऋण पर्यवेक्षक लगा दिया गया है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। सोमवार को चेयरमैन भीम सिंह फौजदार के राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग प्रबंध निदेशक समेत अन्य को ज्ञापन भेजने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ है। साथ ही संचालक मंडल की बैठक भी कोरम के अभाव में स्थगित कर दी गई। बता दें कि संचालक मंडल व प्रबंधन के बीच पिछले करीब तीन वर्ष आपसी खींचतान चल रही है। बताया जाता है कि कभी कमीशनखोरी की लड़ाई सामने आती है तो कभी विवाद के कारण मनमाने प्रस्तावों के कारण दो जिलों में ऋण प्रस्ताव तक अटक चुके हैं। इससे खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ रहा है।
ज्ञापन में उल्लेख किया है कि संचालक मंडल की बैठक 17 मई को बुलाई गई। इसमें एजेंडे की प्रथम पंक्ति में लिखा है कि अध्यक्ष के निर्देशानुसार बैंक संचालक मंडल की बैठक का आयोजन सुबह 11 बजे प्रधान कार्यालय में किया जाएगा। यह पूरी तरह से असत्य है। साथ ही हास्यापद भी है। क्योंकि कई बार मौखिक एवं लिखित में संचालक मंडल की बैठक कराने के लिए पत्र लिखा था। करीब 10 माह से संचालक मंडल की नियमित बैठक नहीं बुलाई गई और न विशेष बैठक का आयोजन किया। सहकारी अधिनियम और बैंक उपनियम की सरेआम अवहेलना की गई है। जो कि गंभीर विषय है। फोन कभी भी नहीं उठाते हैं। पिछले कुछ माह के अंदर 50-60 बार कर्मचारियों के स्थानांतरण कर भय बनाया जा रहा है। बैंक कर्मचारियों से रकम की मांग की जा रही है। रकम न देने पर उन्हें डराया जा रहा है। इसी नीयत से तबादले किए जा रहे हैं। एजेंडा नंबर 37 पर ग्राम सेवा सहकारी समितियों की स्वीकृति की गई साख सीमा की पुष्टि के संबंध में लिखा है कि रजिस्ट्रार के स्थगनादेश नौ फरवरी 2021 की ओर से संचालक मंडल एवं उपसमिति के साख सीमा स्वीकृति के अधिकार पर रोक लगा दी गई है। यदि चाहते हैं कि स्वीकृत साख सीमा की पुष्टि संचालक मंडल की ओर से की जाए तो स्थगनादेश को निरस्त कराएं। संचालक मंडल के समक्ष यह प्रमाण दें कि समस्त किसानों को राजस्व रिकार्ड की सत्यता की जांच कर ली है। सभी ऋणियों की साख सीमा उनकी भूमि के अनुसार सही है। संज्ञान में आया है कि शाखा कामां, डीग, नगर, रूपवास और बाड़ी, कुम्हेर में भूमिहीन कृषकों की साख सीमा फर्जी तरीके से स्वीकृत कराकर कृषकों से रिश्वत लेकर ऋण वितरण किया गया है। इसमें प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध है।
बैंक बन रही विवादों का अखाड़ा

हकीकत की बात करें तो सामने आया कि पिछले करीब तीन साल से यह बैंक भ्रष्टाचार के चक्कर में विवादों का अखाड़ा बनी हुई है। इसमें अगर दोनों ही पक्षों की जांच कराई जाए तो हकीकत सामने आ सकती है। क्योंकि बहुत सारे ऐसे प्रस्तावों के कारण गड़बड़ी की गई, जिनके कारण बैंक को ही नुकसान हुआ है। इन्हीं प्रस्तावों को छिपाने की आड़ में यह विवाद हो रहे हैं। यहां लंबे समय से भ्रष्टाचार की शिकायत की जाती रही है। इन्हीं शिकायतों से परेशान होकर खुद तत्कालीन जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने संचालक मंडल को भंग करने की सिफारिश तक कर दी थी।

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