शहर में सबसे अधिक दुग्ध कलेक्शन मडरपुर रोड स्थित सरस डेयरी पर होता है। यहां पर करीब 50 हजार लीटर की क्षमता का दुग्ध संयंत्र स्थापित है। वहीं, धौलपुर में करीब 20 हजार की क्षमता का है। सरस प्राईवेट डेयरी की बजाय समितियों से दूध का कलेक्शन करती है। लेकिन बीते एक सप्ताह से चल रहे लॉक डाउन में सरस प्लांट का दूध कलेक्शन कुछ प्रभावित हुआ है। समितियों से प्रतिदिन करीब 15 से 16 हजार लीटर दूध कलेक्शन किया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि पहले 10 हजार लीटर दूध पैकिंग कर सप्लाई होती थी जो अब करीब 7 से 8 हजार हो रही है। जबकि शेष बचे दूध का का पाउडर और दही, लस्सी, घी, सादा व नमकीन छाछ के उत्पाद तैयार होते हैं।
लॉक डाउन की वजह से निजी तौर पर दुग्ध कारोबार से जुड़े दूधिया ग्रामीण इलाकों से इन दिनों सप्लाई नहीं ले पा रहे हैं। इस वजह से दूध कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह दूधिया पशु पालकों से दूध खरीद कर उसे भरतपुर, फतेहपुर सीकरी समेत आसपास के अन्य बड़े कस्बों की डेयरियों पर सप्लाई करते हैं। जहां से दूध एकत्र होकर चिलर प्लांट पर पहुंचता है। लेकिन आवाजाही बंद होने से दूधिया ग्रामीण क्षेत्र से दूध नहीं ले पा रहा है। इससे पशुपालकों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। बीते एक सप्ताह से दूध सप्लाई खासी प्रभावित हुई है।
दूध सप्लाई नहीं होने से पशुपालकों को खासा नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा जिनके पास पशु अधिक हैं। उनका दूध काफी बच रहा है। गांव नगला टिकैता के पशुपालक गाोविंद सिंह ने बताया कि दूधियों के नहीं आने से प्रतिदिन दूध का नुकसान हो रहा है। बिजली भी नहीं आने तो दूध को सुरक्षित रख पाना भी मुश्किल हो रहा है। गर्मी की वजह से दूध कई बार जल्दी खराब हो रहा है। कुछ पशु पालक इन दिनों घी निकाल कर नुकसान कम करने में जुटे हुए हैं। सरस डेयरी भरतपुर के एमडी एमएल जैन का कहना है कि सरस डेयरी ज्यादातर दूध समितियों से लेती है। इसमें ज्यादा अंतर नहीं आया है। समितियों से करीब 16 हजार लीटर प्रतिदिन दूध आता है। इसमें कुछ प्रभावित हुआ है। हालांकि, सरस के पॉर्लरों पर दूध की सप्लाई नियमित की जा रही है।