राज्य सरकार ने भरतपुर जिले के 950 गांवों को चंबल का मीठा पानी मुहैया कराने के लिए करीब 700 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी। इसके बाद रूपवास, भरतपुर के कई गांव व कुम्हेर तक ही पानी पहुंच पाया है। कार्य की कछुआ चाल ने डीग, कुचावटी, कामां, नगर, पहाड़ी के 597 गांवों के लाखों लोगों को अब भी मीठे पानी से दूर कर रखा है। सरकार की करोड़ों रुपए की परियोजना से भरतपुर के 97 गांवों को जोडऩा था। इनमें से भरतपुर में 23 गांव व 05 ढांणियो ंमें ही पानी पहुंचा है। वहीं मलाह हैडवक्र्स से कुम्हेर तक पानी पहुंच चुका है।
कुम्हेर के 53 गांव आज भी पानी से दूर हैं। वहीं डीग से नगर तक 283, कामां से पहाड़ी तक 246 गांवों के लोगों को 242.62 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर कार्य कर इस वर्ष सितम्बर तक पानी पहुंचाना था। लेकिन, इस बजट में से अब तक करीब 110 करोड़ रुपए का कार्य हुआ है, जो बजट का 66 फीसदी है।
वहीं कुम्हेर से कुचावटी तक 17.2 किलोमीटर पाइप लाइन बिछानी है। इसमें से अब भी करीब 2300 मीटर लाइन बिछाना बाकी है। इसके अलावा कुचावटी से नगर तक 26.7 किलोमीटर की लाइन डाली जानी है, जिसमें से अब तक 20.5 किलोमीटर लाइन डाली है। शेष 6.5 किमी कार्य बाकी है। मलाह हैडवक्र्स से कुम्हेर तक 22 किमी में 1000 एमएम की पाइप-लाइन डलने के साथ कस्बे में चंबल के पानी की शुरूआत हो चुकी है। वहीं भरतपुर से कुम्हेर से डीग, कुचावटी, कामां, नगर, पहाड़ी तक करीब 85 किलोमीटर लाइन व अन्य कार्य पर 242.62 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है। इस बजट से करीब 125 करोड़ रुपए खर्च कर 66 फीसदी कार्य हुआ है।
–फैक्ट फाइल एक नजर में..
-700 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट
-जिले की आबादी-करीब 25.5 लाख
-चंबल के पानी की जरूरत-8 लाख लोगों को
-गांव करीब-1430
-चंबल पानी को चयनित-950 गांव
-चंबल का पानी पहुंचा-353 गांव
-चंबल पानी से दूर गांव-597
-खराब हैण्डपंप-38
-जिले में नल कनेक्शन-करीब 52 हजार
गौरतलब है कि जिले में करीब 25 लाख 48 हजार 470 जनसंख्या है। इनमें से 1430 गांवों में निवास करने वाले 16 लाख लोगों को सर्दी की अपेक्षा गर्मी में अधिक पानी की आवश्यकता होगी। गर्मी को देखते हुए इन क्षेत्रों में पानी की किल्लत बनी रहती है। हालांकि जलदाय विभाग ने जिले में करीब 52 हजार जल कनेक्शन दे रखे हैं। इन्हें पाइन लाइन, नलकूप, हैंंडपंप, जीएलआर टैंक, टैंकर आदि से प्रति व्यक्ति 40 लीटर के हिसाब से पानी देना निर्धारित है। इसके बाद भी इन क्षेत्रों में पानी की सप्लाई 48 घंटे में होती है। ऐसे में इन्हें परेशानी से जूझना पड़ता है। कहने को जिले में हैंडपंप लगे हैं, जिनमें से 38 खराब हैं। अब तो पानी को मोहताज इन लोगों की समस्या का समाधान चंबल परियोजना से हो सकता है।
अभी लगता है कि लोगों को भरपूर पानी मिलना मुश्किल गत वर्ष 31 दिसम्बर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो जलदाय विभाग के जिले में करीब 11310 हैंडपंप है। इनमें से 5754 हैंडपंप खराब पाए गए। इन्हीं में 543 हैंडपंप सूखे पाए गए। विभाग ने 5716 हैंडपंपों में सुधार कराया, लेकिन 38 हैंडपंप अब भी खराब बताए गए हैं। वहीं भू-जल स्तर भी नीचे पहुंच गया है। इस हालत में लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है। इस स्थिति में जलदाय विभाग कई क्षेत्रों में पानी के टैंकर भेजकर आपूर्ति करता है। क्योंकि भूजल स्तर गिरने के साथ पानी में टीडीएस की मात्रा है, जो पीने के योग्य नहीं है। यहां के अधिकारियों का भी मानना है कि अब चंबल का पानी ही लोगों की समस्या का समाधान कर सकता है।
डीग. कस्बे को जल्द ही चम्बल का मीठा पानी मिलेगा। ऐसी उम्मीद लोगों को लग रही है। बशर्ते कार्य की गति बढ़ जाए। चम्बल परियोजना के अधिशाषी अभियंता केसी बैरवा का कहना है कि चम्बल का पानी डीग के लोगों को जून के अंत तक मिलने की सम्भावना है। डीग क्षेत्र के गांव कुचावटी में बने पम्पहाउस पर पम्प लगने के साथ बिजली कनेक्शन होना बाकी है जो कि जल्द ही हो जाएगा। इसके अलावा कुचावटी से डीग तक 2200 मीटर की पाइप लाइन डलना अभी बाकी रह गया है। वर्मा ने बताया कि डीग कस्बे को पानी की सप्लाई पुराने चल रहे सिस्टम से ही दी जाएगी।