भरतपुर

चुनाव में दी सबसे ज्यादा सीट अब बजट से उतनी ही बढ़ी उम्मीद

-राज्य बजट से भरतपुरवासियों को फिर जगी आस

भरतपुरFeb 19, 2020 / 10:13 pm

Meghshyam Parashar

चुनाव में दी सबसे ज्यादा सीट अब बजट से उतनी ही बढ़ी उम्मीद

भरतपुर. राज्य का बजट 20 फरवरी को पेश किया जाएगा। नए बजट को लेकर उद्योग-व्यापार जगत से लेकर आम आदमी तक को राहत की उम्मीद है। सरकार बजट में घोषणाएं तो बहुत कर देती है, लेकिन क्रियान्वन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इस कारण ज्यादातर बजट घोषणाएं कागजों में ही दबी रह जाती है। पिछले बजट में संभाग से जुड़ी घोषणा क्रियान्वन को लेकर पत्रिका टीम ने विश्लेषण किया तो पाया कि ज्यादातर घोषणाओं का जनता को अभी तक कोई लाभ नहीं मिल पाया है। चूंकि भरतपुर जिले में सात में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में कब्जा किया था। अब बसपा के दो विधायक भी कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। इसलिए सातों विधानसभा सीटों पर ही कांग्रेस का परचम है। इसलिए नए बजट को लेकर भी सातों विधानसभा क्षेत्रों की उम्मीद पहले से कहीं ज्यादा है।
घोषणाएं
1. लोगों को ई-मित्र पर ही सारी सुविधाएं देने के लिए जिले में ई-मित्र प्लस मशीनें लगाई जानी थी।
-हकीकत: सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने शहर में कुछ स्थानों पर ई-मित्र प्लस मशीनें लगा दी हैं, लेकिन संचालन नहीं किया गया है। इस कारण ये अनुपयोगी पड़ी हैं। लाखों रुपए की मशीनें धूल चाट रही हैं।
2. ग्राम सेवा सहकारी समितियों और क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में भंडारण के लिए गोदाम बनाने की घोषणा।
-हकीकत: जिले में पिछले एक साल में किसी भी सहकारी समिति में हाल में गोदाम का निर्माण नहीं हुआ है। कुछ स्थानों के लिए प्रस्ताव बनाए गए थे, लेकिन वो अभी तक लंबित पड़े हैं।
3. बजट में मोहल्ला क्लिनिक खोलने की घोषणा की थी, ताकि लोगों को नजदीक ही चिकित्सा सुविधा मिल सके।
-हकीकत: प्रस्ताव बन चुके हैं और अंतिम निर्णय पर भी पहुंच चुके हैं। आए दिन घोषणाओं का दावा किया जाता है, लेकिन अभी एक भी क्लिनिक शुरू नहीं हो सका है।
4. प्रत्येक पंचायत समिति में नंदीशाला खोली जानी थी, ताकि आवारा मवेशियों की समस्या से निजात मिल सके।
-हकीकत: जिले में किसी भी पंचायत समिति मुख्यालय पर नंदीशाला शुरू नहीं हो पाई है। निगम की ओर से तो अब तक इकरन में नंदीशाला का निर्माण कार्य पूरा तक नहीं कराया है। शहर की जनता आवारा मवेशियों का दंश झेल रही है।
5. लोहागढ़ किले व भरतपुर का इतिहास बताने के लिए किशोरी महल में लाइट एंड साउंड शो पर दो करोड़ 50 लाख रुपए व्यय किए जाएंगे।
-हकीकत: इस पर कार्य हो रहा है, लेकिन अभी तक लाइट एंड साउंड शो की शुरुआत ही नहीं हो सकी है।
6. गांवों में फाइबर टू होम के जरिए उच्च स्तर की इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।
-हकीकत: खुद बीएसएनएल की इंटरनेट सेवा जी का जंजाल बनी हुई है। गांवों में अच्छी इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना सिर्फ सपना बनकर रह गया है।
7. पहाड़ी में बंद सरकारी कॉलेज को दुबारा खोला जाना तय किया गया।
-हकीकत: किसी दूसरे संस्थान के भवन में कॉलेज संचालित हो रहा है। भवन निर्माण का प्रस्ताव कागजों में दम तोड़ता नजर आ रहा है।
अब बजट से शहर को बड़ी उम्मीद
1. सीएफसीडी: शहर की सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन को लेकर हर बजट में निराशा मिलती रही है। क्योंकि इसके लिए बड़े बजट की आवश्कता है। अगर इसका निर्माण होता है तो भरतपुर शहर की सबसे बड़ी समस्या जलभराव का निराकरण हो जाएगा, लेकिन यह हमेशा सपना बना रहता है।
2. सुजानगंगा: इसके जीर्णोद्धार का मुद्दा भी हमेशा उठता रहा है। पिछले कुछ सालों में जनता ने भी मांग उठाई तो प्रशासन ने वोटिंग का सपना दिखाया, लेकिन वो भी सिर्फ चुनावी दिखावा साबित हुआ। ऐसे में यह नहर सुसाइड पॉइंट बनती जा रही है।
-वैश्विक मंदी का असर अंचल के उद्योग-धंधों पर भी पड़ रहा है। सरसों के तेल के उद्योग और बयाना का पिंक स्टोन उद्योग भी मंदी के चलते बेहाल है। सरकार को उद्योगों को उभारने के लिए राहत का पैकेज देने की घोषणा करनी चाहिए।
-लोहागढ़ युवाओं का शहर है। युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जाए।
-बंद उद्योगों के पुनर्संचालन की दिशा में ठोस प्रयास हो। बंद उद्योगों की जमीन का सदुपयोग हो।
-नगरीय ढांचागत विकास के लिए बजट आवश्यकता है। शहर की सड़कों को सुदृढीकरण करने तथा नई सड़कें बनाने के लिए बजट दिया जाए।
-शहर का विस्तार लगातार हो रहा है। बहुमंजिला इमारत व मॉल बन रहे हैं। शहरवासियों की पेयजल समस्या का निराकरण बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
उच्चैन. छह वर्ष से उच्चैन को नगरपालिका का दर्जा देने की मांग हो रही है, मुंसिफ कोर्ट की स्थापना के लिए विगत दस वर्षों से अभिभाषक संघ सहित आम जनता क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं राज सरकार से मांग कर चुकी है, स्थाई बस स्टैंड की मांग, 132केवी जीएसएस,की स्थापना, उच्चैन सीएचसी पर टोमा सेन्टर की स्थापना की मांग भी लंबे समय से हो रही है।
कामां. जुरहरा रोड स्थित रीको सौनोखर औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार नही होने से बेरोजगारो को बजट से आस लगी हुई है।

रुदावल. कस्बे के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करने की एक दशक पुरानी मांग पर कांग्रेस सरकार ने पिछले बजट में पीएचसी से सीएचसी का दर्जा तो दे दिया, लेकिन बजट, संसाधन एवं पद सृजित नहीं होने के कारण अभी पीएचसी के रूप में ही संचालित है।
नदबई. पूर्वी राजस्थान में सरसों मण्डी से विख्यात स्थानीय कृषि मण्डी में जिन्स खरीद-फरोक्त के लिए दूरदराज व ग्रामीण क्षेत्र से पहुंच रहे किसानों को रात्रि ठहराव में हो रही समस्या के लिए प्रदेश सरकार के बजट में डाक सेवा की घोषणा करना आवश्यक है।
कुम्हेर. गुडगांवा कैनाल के दूसरे चरण के निर्माण के लिए राशि के लिए उम्मीद है इस नहर के निर्माण की मांग को लेकर कई दर्जन गांवों के किसानों का जौदेला चौराहा पर 73 दिन महापड़ाव भी हुआ था।
बयाना. किसानों के लिए बारैठा को पांचना बांध की तर्ज पर ऊंचाई बढाया जाए पानी की क्षमता बढाई जाए। इससे किसानों को कृषि के लिए पानी की पूर्ति हो सकेगी।
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