ब्रजवासियों को याद तत्कालीन एसडीएम पालावत कामवन शोध संस्थान के निदेशक डॉ रमेश चंद्र मिश्र ने बताया कि फागुन माह की नवमी को बरसाना की होली, दशवीं को नंदगांव की होली के उपरांत कुंज एकादशी के दिन कामां के प्रसिद्ध गोकुल चंद्रमाजी व मदन मोहनजी मंदिर में दशकों से फाग उत्सव मनाया जाता रहा है। वर्ष 2004 में तत्कालीन उपखंड अधिकारी भवानी सिंह पालावत के प्रयासों से इसे बड़ा रूप देकर ब्रज होली महोत्सव का नाम दिया गया था। तब से लेकर आज तक इसे पर्यटन विभाग की ओर से ही आयोजित कराया जाता रहा है।
पर्यटन विभाग…शोभायात्रा, फूलबंगला झांकी व लठामार होली नहीं होगी इस बारे में पर्यटन विभाग के उप निदेशक अनिल राठौड़ का कहना है कि कलेक्टर के आदेशों के बाद कामा में ब्रज में होली महोत्सव के तहत छह मार्च को कृष्ण साज सज्जा प्रतियोगिता व रात्रि सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम की स्वीकृति जारी कर दी गई है। दोपहर को होने वाले मुख्य कार्यक्रमों लठमार होली शोभायात्रा, फूल बंगलाझांकी, विशाल साज सज्जा को पर्यटन विभाग की ओर से नहीं कराया जाएगा। इन कार्यक्रमों को आयोजित कराने के लिए आयोजक मंदिर कमेटी व स्थानीय जनता के सहयोग से आयोजित कराए जाने पर विचार किया जा रहा है।
नगरपालिका…हमारे पास नहीं कार्यक्रम के लिए बजट वहीं दूसरी और कामां नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी श्याम बिहारी गोयल का कहना है कि पर्यटन विभाग की ओर से ब्रज होली महोत्सव में केवल रात्रि कार्यक्रम ही आयोजित कराए जाएंगे। दोपहर को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रमों के लिए बजट आवंटित नहीं किया गया है ऐसे में नगर पालिका इन आयोजनों को कराने में असमर्थ है।
धर्म को नहीं बनाएं राजनीति का गढ़
कुछ माह पहले ही भोजनथाली मेला को लेकर कामां राजनीति का केंद्र बन गया था। राजनीति होती रहेगी और नेता आते-जाते रहेंगे, लेकिन इन परंपराओं को टूटने नहीं देने के लिए सभी को भागीदारी निभाने की जरुरत है। करीब दो महीने तक भोजनथाली मेले को लेकर नेता, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के बीच आमजन पिसती रही। अंत में हाइकोर्ट के निर्देश पर मेला भी हुआ और राजनीति को मात खानी पड़ी। अब एक बार फिर ब्रज होली महोत्सव को लेकर चर्चा है कि कहीं इस बार भी धर्म पर राजनीति तो हावी नहीं हो रही है। क्योंकि आपसी खींचतान व वर्चस्व कायम रखने की जिद कामां के मुद्दों पर तमाम नेताओं में पुरानी है। हालांकि यह जिद ज्यादा दिन तक कभी नहीं चल पाती है। कुछ दिन में उसे जनता के विरोध के कारण विवश होना पड़ता है, लेकिन जनता और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए नेताओं को चाहिए कि ऐसे विवादों के बजाय विकास के मुद्दों पर खींचतान करें।
कुछ माह पहले ही भोजनथाली मेला को लेकर कामां राजनीति का केंद्र बन गया था। राजनीति होती रहेगी और नेता आते-जाते रहेंगे, लेकिन इन परंपराओं को टूटने नहीं देने के लिए सभी को भागीदारी निभाने की जरुरत है। करीब दो महीने तक भोजनथाली मेले को लेकर नेता, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के बीच आमजन पिसती रही। अंत में हाइकोर्ट के निर्देश पर मेला भी हुआ और राजनीति को मात खानी पड़ी। अब एक बार फिर ब्रज होली महोत्सव को लेकर चर्चा है कि कहीं इस बार भी धर्म पर राजनीति तो हावी नहीं हो रही है। क्योंकि आपसी खींचतान व वर्चस्व कायम रखने की जिद कामां के मुद्दों पर तमाम नेताओं में पुरानी है। हालांकि यह जिद ज्यादा दिन तक कभी नहीं चल पाती है। कुछ दिन में उसे जनता के विरोध के कारण विवश होना पड़ता है, लेकिन जनता और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए नेताओं को चाहिए कि ऐसे विवादों के बजाय विकास के मुद्दों पर खींचतान करें।