scriptकरोड़ों रुपए का उपकर दबाए बैठे 35 भवन मालिकों को नोटिस जारी | Notice to 35 builders sitting on cess of crores of crores | Patrika News

करोड़ों रुपए का उपकर दबाए बैठे 35 भवन मालिकों को नोटिस जारी

locationभरतपुरPublished: Feb 14, 2019 09:42:10 pm

Submitted by:

pramod verma

भरतपुर. जिले में खाली भूखंडों पर आवासीय व व्यवसायिक बिल्डिंग बनाकर भवन मालिकों ने श्रम विभाग के करोड़ों रुपए के श्रम उपकर(लेबर सेस) को डकार लिया है।

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भरतपुर. जिले में खाली भूखंडों पर आवासीय व व्यवसायिक बिल्डिंग बनाकर भवन मालिकों ने श्रम विभाग के करोड़ों रुपए के श्रम उपकर(लेबर सेस) को डकार लिया है। ऐसे अधिकांश लोग हैं, जिन्होंने इमारतें तो खड़ी कर लीं, मगर श्रम विभाग के करोड़ों रुपए के सेस को जमा कराने में रुचि नहीं दिखाई। विभाग ने भी वर्षों तक मूल्यांकन तो दूर मॉनिटरिंग भी नहीं की, जिससे भवन मालिकों के श्रम उपकर जमा नहीं कराने के प्रति हौसले बुलंद रहे। वर्षों बाद जब अलमारियों कुरेदी तो 35 भवन मालिक विभाग की पकड़ में आए जिन्होंने वर्ष 2009 के बाद अब तक सेस जमा नहीं कराया है।
नियम के अनुसार नोटिस व वसूली की कार्रवाई उन पर की जा रही है, जिन्होंने वर्ष 2009 या इसके बाद भवन बनाए हैं। इसके तहत विभाग ने वसूली के लिए 35 भवन मालिकों को नोटिस जारी किए हैं। गौरतलब है कि भवन एवं संनिर्माण कार्य से जुड़े श्रमिकों को विभाग में पंजीयन होता है। इन्हें विभागीय योजनाओं के लाभ का हकदार माना जाता है। इन्हें योजनाओं का लाभ उपकर से अर्जित राशि से दिया है।
श्रम विभाग की जिला श्रम कल्याण अधिकारी हसीना बानो ने बताया कि विभाग में भवन एवं अन्य संनिर्माण उपकर अधिनियम 1996 बना है। इसके तहत आवासीय भवन, मैरिज होम, फ्लैट्स, महाविद्यालय, कॉम्प्लैक्स आदि के भवन का निर्माण होने पर इनमें दस लाख रुपए या इससे अधिक राशि की लागत का एक प्रतिशत श्रम उपकर (सेस) श्रम विभाग मेें नियमानुसार जमा कराने का प्रावधान है। फिलहाल विभाग की नजर में 35 भवन मालिक आएं हैं, जिन्होंने करोड़ों रुपए सेस के दबा रखे हैं।
यह स्थिति वर्ष 2009 से अब तक है। इन नौ वषोँ में दस करोड़ रुपए से अधिक उपकर भवन मालिकों के पास है और यही लक्ष्य विभाग को मिला है। विभाग की प्रारम्भिक जांच में सामने आया कि इन लोगों ने नगर निगम या नगर पालिका से अपने भवन निर्माण के लिए अनापत्ति पत्र (एनओसी)लेकर तय मानकों से ज्यादा राशि लगाकर ऊंचे भवन खड़े कर दिए है। वहीं एनओसी लेते समय भवन लागत भी कम दर्शाई। जबकि, यह उपकर के दायरे में हैं।

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