-स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासन, पुलिस, खनिज विभाग, वन विभाग सभी मिलकर खननमाफियाओं का साथ दे रहे हैं। पिछले कुछ दिन के दौरान हुई कार्रवाई से यह सबकुछ स्पष्ट है। जरूरी है कि अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के साथ सरकार को इन विभागों के मुखियाओं की भी कॉल डिटेल के अलावा अन्य जांच करानी चाहिए। ताकि सारा खुलासा हो जाएगा।
बाबा हरिबोलदास
-गांव टायरा, अकबरपुर, लेवड़ा, कनवाड़ी, चरण पहाड़ी के अवैध खनन को रोकने के लिए जेसीबी मशीन से रास्ते काटकर चारों ओर खाई खोदी गई है।
विक्रम सिंह रेंजर वन विभाग कामां
इधर, राज्यमंत्री सुभाष गर्ग बोले: बंशी पहाड़पुर में अवैध की रोकथाम के लिए बनाया जाएगा प्रस्ताव
-मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया है मामला भरतपुर. तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा है कि भरतपुर जिले के बयाना-रूपवास में बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में अवैध खनन को रोकने के लिए इस क्षेत्र को बंध बारैठा वन अभ्यारण क्षेत्र से डीनोटिफाई कर व उसके स्थान पर नए वन आधारित क्षेत्र को बंध बारैठा वन क्षेत्र में शामिल करने तथा क्षेत्र में खनन को लिगलाइज करने के लिए मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया है। इससे क्षेत्र में अवैध खनन की रोकथाम होगी वहीं वैध खनन शुरू होने से राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। वहीं क्षेत्र के हजारों परिवारों के आर्थिक हितों को संरक्षित किया जा सकेगा और लोग बेरोजगार नहीं होंगे।
तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री ने भरतपुर जिला कलेक्टर को क्षेत्र में अवैध खनन की रोकथाम के लिए मौका मुआयना कर यह प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए थे कि बयाना-रूपवास में बंशी पहाड़पुर बंध बारैठा वन अभ्यारण की रेंज में होने से डीनोटिफाई किया जाना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र के 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में किसी भी प्रकार के पेड़-पौधे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के आगे का क्षेत्र जिस पर वन व पेड़ है उस क्षेत्र को बंध बारैठा वन अभ्यारण क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि वह क्षेत्र वास्तव में वनक्षेत्र है। डॉ. सुभाष गर्ग ने भरतपुर जिला कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वह अपनी अध्यक्षता में खान विभाग, वन विभाग एवं पर्यावरण विभाग की संयुक्त रूप से बैठक आयोजित कर बयाना—रूपवास में बंशी पहाड़पुर क्षेत्र को बंध बारैठा वन अभ्यारण क्षेत्र से डीनोटिफाई करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया जाना सुनिश्चित करें तांकि भारत सरकार के जरिए उच्चतम न्यायालय में प्रकरण को रखा जा सके।