विद्यार्थियों को होगी पूरे माह की पढ़ाई की जानकारी
महाविद्यालयों में तैयार किए जाने वाली मासिक समय-सारिणी को विद्यार्थियों की सूचना के लिए महाविद्यालय के नोटिस बोर्ड, हर विभाग के बाहर व कक्षाकक्ष के बाहर हर माह नियमित रूप से चस्पा किया जाएगा। जिससे विद्यार्थियों को आगामी दिनों में कराई जाने वाली पढ़ाई की पूरी जानकारी रहेगी। साथ ही वो विषय वस्तु को पहले से पढ़कर आ सकेंगे। इसकी तैयारी के तहत सभी महाविद्यालयों को एक माह का मॉडल टाइम टेबल तैयार कर 10 अप्रेल तक महाविद्यालय के संबंधित प्रभारी अधिकारी को सूचित करते हुए संयुक्त निदेशक (अकादमिक) को भिजवाना होगा।
हर माह होगा टेस्ट
योजना के तहत समय-सारिणी के अनुसार शिक्षकों से माह के अंत में उनके सिलेबस का कितना प्रतिशत भाग पूरा करवा दिया गया है, इसकी जानकारी ली जाएगी। साथ ही महाविद्यालय स्तर पर इसका रिकॉर्ड संधारित किया जाएगा। माह के अंतिम सप्ताह में पढ़ाई जा चुकी विषय वस्तु के आधार पर महाविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों का मासिक टेस्ट आयोजित किया जाएगा। इसके लिए आयुक्तालय की ओर से प्रत्येक विषय का एक प्रश्न पत्र तैयार करवाकर महाविद्यालयों को भिजवाया जाएगा। टेस्ट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन महाविद्यालय स्तर पर करवाकर उन्हें वापस विद्यार्थियों को दिखाया जाएगा। साथ ही विद्यार्थियों को दिखाने के बाद शिक्षक द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं का रिकॉर्ड रखा जाएगा। इसके अलावा महाविद्यालयों की विश्वविद्यालय क्षेत्रानुसार विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन की मेरिट सूची भी जारी की जाएगी और अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को पुरस्कृत किया जाएगा।
रुक्टा ने बताया एक पक्षीय आदेश
रुक्टा राष्ट्रीय के महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता ने इसे जमीनी वास्तविकता से परे एक पक्षीय आदेश बताते हुए विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि मासिक टाइम टेबल तैयार करना व्यावहारिक नहीं है। आदेश निकालने से पहले पर्याप्त होमवर्क नहीं किया गया है। एक बड़े महाविद्यालय के नोटिस बोर्ड पर विषय वस्तु के अनुसार माहवार टाइम टेबल लगाना व्यावहारिक नहीं है। जुलाई में प्रवेश प्रक्रिया जारी रहती है, इसलिए जुलाई 2019 की समय सारणी मात्र एक कागजी खानापूर्ति होगी। प्रदेश के हर विश्वविद्यालय के प्रत्येक कोर्स का अपना-अपना सिलेबस है। इसलिए आयुक्तालय द्वारा प्रत्येक विषय का प्रश्न-पत्र तैयार करके मासिक टेस्ट के लिए भिजवाया जाना संभव नहीं है। ऐसे में संगठन ने शिक्षण में गुणात्मक सुधार हेतु शिक्षकों को अशैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाने तथा विषय वस्तु के अनुसार मासिक समय सारणी के आदेश को वापस लेने की मांग उच्च शिक्षा मंत्री से की है।