यहां चिकित्सकों ने एक दर्जन से अधिक बीमार गायों का इलाज कर गौशालाकर्मियों को गोवंश के चारा-पानी की उचित व्यवस्था के निर्देश दिए। वहीं पटवारी अजयपाल ने ग्रामीणों की सहायता से गौशाला में ही शनिवार को करीब डेढ दर्जन गायों को गड्ढा खोदकर दफन कराया। हैरत की बात ये है कि गोवंश की मौत की जानकारी होने के बावजूद शनिवार को कोई भी अधिकारी गौशाला में नहीं पहुंचा। घटना को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया।
ग्राम पंचायत सरपंच अनिल कुमार,ग्रामीण हेमराज व अन्य ने बताया कि बरौलीचौथ श्याम ढाक में वन विभाग की करीब 7 बीघा जमीन पर पिछले 15 वर्षों से एक कथाकथित साधु जमीन पर अतिक्रमण कर गौशाला का संचालन कर रहा है। गौशाला में गोवंश के लिए चारे-पानी सहित अन्य यवस्थाएं नहीं होने से गायों की मौते होती रही है। मृत गायों को गौशाला प्रबंधन की ओर से गुपचुप तरीके से गौशाला में ही गड्ढे खोदकर दफन करवा दिया जाता है। शनिवार को भी दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हो गई, जबकि कई बीमार गायों को गौशाला में आवारा पशु अपना शिकार बना रहे हैं।
इसकी जानकारी होने पर एसडीएम ने तहसीलदार को पशु चिकित्सकों की टीम लेकर मौके पर भेजने के निर्देश दिए, लेकिन तहसीलदार ने सांवई हल्का के पटवारी अजयपाल सिंह, पशुचिकित्सक डॉ.पवन चौधरी, डॉ.मनीष शर्मा व पशुधन सहायकों को मौके पर भेज दिय, जहां डॉ.पवन व पशुधन सहायक राकेश कुमार ने करीब दो दर्जन बीमार गायों का इलाज किया।
डॉ.पवन ने बताया कि चारे-पानी की व्यवस्था नहीं होने के साथ गौशाला में फैली गंदगी से गाय कमजोर हो गई हैं। इन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया है पटवारी ने बताया कि करीब डेढ दर्जन गोवंश को गौशाला में गड्ढे खुदवाकर दफन कराया है।डीग में एसडीएम साधुराम जाट का कहना है कि गौवंश का पशुचिकित्सकों को भेजकर इलाज कराया है। मेरे पास गायों की मरने की जानकारी नहीं है। तहसीलदार को गौशाला प्रबंधन के साथ गौशाला की व्यवस्थाओं की जांच करने के आदेश दिए हैं।