लापरवाह सिस्टम...खुली नाली में गिरने से एक और तीन वर्षीय मासूम की मौत
-जिले में हर साल कस्बों में खुले नाले-नालियों में गिरने से जा रही जिंदगियां, हादसे के बाद भी नहीं ले सके सबक
-अब नदबई में हादसा, बड़ा सवाल...ये क्या अब भी प्रशासन समझेगा आमजन का दर्द

भरतपुर/नदबई. कस्बे की कासगंज कॉलोनी स्थित खुली नाली में गिरने से तीन वर्षीय एक बालक की मौत हो गई। शुरुआत में परिजनों को मालूम ही नहीं हुआ। करीब आधा घंटे बाद जानकारी हुई जिस पर परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को कासगंज कॉलोनी निवासी कृष्णा प्रजापत का तीन वर्षीय पुत्र पीयूष प्रजापत घर के बाहर सड़क पर अकेला खेल रहा था। खेलते हुए असंतुलित होने से घर के सामने से निकलने वाली खुली पड़ी नाली में गिर गया। बालक के आसपास कोई ना होने के कारण कुछ समय तक किसी को घटना की जानकारी नहीं हुई। बाद में जानकारी होने पर उसे बेहोशी की हालत में परिजन बालक को लेकर सीएचसी लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना को लेकर लोगों नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ नाराजगी है। नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी की वजह से कस्बे में कई जगह नाले व नालियां खुली हैं। इसमें कई बार जानवर गिर चुके हैं। लेकिन इस घटना के बाद भी नगर पालिका प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं।
पलभर में छा गया मातम
घटना से कुछ घंटे पहले जहां पीयूष घर में अटखेलियां कर रहा था, वहीं अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद घर में मातम छा गया। नगरपालिका प्रशासन की लापरवाही के कारण इस परिवार की खुशियां पलभर में उजड़ गई। पीयूष की मौत के बाद उसके माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बड़ी मुश्किल से मोहल्लेवासियों ने उन्हें संभाला।
इतना बड़ा हादसा...नगरपालिका ने आकर तक नहीं देखा
उधर, इस हादसे के बाद नगर पालिका प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारियों ने मौके पर जानकारी तक नहीं ली है। नाली करीब चार फुट गहरी और दो फुट चौड़ी है। बताया जा रहा है कि घटना की जानकारी परिजनों को देर से हुई। इस दौरान बालक नाली में पड़ा रहा और उसका दम घुट गया। उधर, अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड की बैठक में खुले पड़े नाले व नालियों को ढकने के लिए फेरोकवर लगाने का प्रस्ताव लिया जाएगा।
प्रतिवर्ष नाली नाला निर्माण पर खर्च करोड़ों रुपए
भरतपुर नगर निगम समेत जिले के अन्य सभी आठ नगरपालिकाओं में हर साल नाली नाला निर्माण और मरम्मत को लेकर करोड़ों रुपए बजट पास किया जाता है, लेकिन शहर व कस्बों की कई कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां एक बार भी नालियों का निर्माण नहीं हो रखा है। शहर में कई बड़े नाले क्षतिग्रस्त होकर खतरनाक बन चुके हैं। नाली नालों के निर्माण पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च करने के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है। इतना ही नहीं कहीं गहरी नालियां होने के बाद भी वो खुली हुई हैं तो बड़े नालों पर फेरोकवर तक नहीं लगाए गए हैं।
शहर में खुले नाले भी बन रहे है हादसों की पर्याय
शहर में भी नालों में गिरने से आए दिन हादसे होते रहते हैं। कभी इसमें बेसहारा गोवंश गिरकर चोटिल हो रहे हैं, तो कभी छोटे बच्चे नाले में गिरकर घायल हो जाते हैं। कई बार शहरवासी इस नहर को ढंकवाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन नगर निगम का प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं है। फेरोकवर को लेकर व्यापार महासंघ के पदाधिकारी भी कई बार मांग कर चुके हैं, परंतु हालात जस के तस बने हुए हैं।
कामां व वैर में भी जा चुकी है दो जान
नदबई में हुआ हादसा कोई पहला नहीं है, इससे पहले भी जिले के अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में नाले व नालियों में गिरने से बच्चों की जान जा चुकी है। हादसा होने के बाद जिम्मेदार इन पर पट्टी या फेरोकवर लगवाने का दम भरते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद ही भूल जाते हैं। पूर्व में हुए हादसों पर नजर डालें तो सामने आता है कि एक नवंबर २०१८ को कामां के बाइपास के पास खुले में नाले में गिरने से एक ट्रक चालक की मौत हो गई थी। १६ जुलाई २०१९ को वैर में निर्माणाधीन नाले में गिरने से एक बालक की मौत हो गई थी। इसके अलावा अब चार-पांच साल के अंदर करीब पांच से अधिक मौत के मामले नाले-नालियों में गिरने से संबंधित आ चुके हैं।
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