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कॉमर्स में दो साल बाद बेटियों ने रचा इतिहास, सिर्फ 4.77 प्रतिशत हुए फेल

locationभरतपुरPublished: Jul 13, 2020 09:10:16 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-जिले का कुल परिणाम 95.23 प्रतिशत, पिछले साल की तुलना 1.03 प्रतिशत बढ़ा परिणाम, छात्राओं का 0.81 प्रतिशत बढ़ा और छात्रों का 0.73 प्रतिशत घटा

कॉमर्स में दो साल बाद बेटियों ने रचा इतिहास, सिर्फ 4.77 प्रतिशत हुए फेल

कॉमर्स में दो साल बाद बेटियों ने रचा इतिहास, सिर्फ 4.77 प्रतिशत हुए फेल

भरतपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से सोमवार सुबह घोषित 12वीं वाणिज्य संकाय के परिणाम में छात्राओं ने तीन साल बाद इतिहास रचा है, हालांकि छात्राओं के परिणाम में 0.81 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है परंतु पिछले तीन साल से जिस हिसाब से तीन से पांच प्रतिशत परिणाम कम जा रहा था, उससे यह अच्छा है। जिले का परिणाम 95.23 प्रतिशत रहा है, जो कि पिछले साल की तुलना 1.03 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल परिणाम 93.93 प्रतिशत रहा था। छात्रों का परिणाम 92.93 प्रतिशत व छात्राओं का परिणाम 98.75 प्रतिशत रहा है। हैरत की बात यह भी है कि इस बार छात्राएं सिर्फ 1.25 प्रतिशत व छात्र 7.07 प्रतिशत फेल हुए हैं। जबकि कुल 4.77 प्रतिशत फेल हुए हैं। वाणिज्य संकाय में 374 छात्र व 241 छात्राओं समेत कुल 615 विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था। इसमें से 368 छात्र व 240 छात्राओं समेत 608 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें 375 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी, 193 द्वितीय श्रेणी व 579 तृतीय श्रेणी से पास हुए। छात्रों में 191 प्रथम श्रेणी, 142 द्वितीय श्रेणी, नौ तृतीय श्रेणी से पास हुए। परिणाम 92.93 प्रतिशत रहा। छात्राओं में 184 प्रथम श्रेणी, 51 द्वितीय श्रेणी, दो तृतीय श्रेणी से पास हुए। परिणाम 98.75 प्रतिशत रहे।
सात साल में सिर्फ दो बार कम रहा छात्राओं का परिणाम

अगर सात साल के परिणाम के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ दो बार ही छात्राओं का परिणाम प्रतिशत कम रहा है। वाणिज्य संकाय में 2018 की तुलना छात्रों का परिणाम प्रतिशत 0.1 प्रतिशत बढ़ा था। जबकि छात्राओं का परिणाम 3.03 प्रतिशत गिरा था। 2019 में छात्रों का परिणाम प्रतिशत 93.66 व छात्राओं का 94.42 प्रतिशत परिणाम रहा है। ऐसे में वर्ष 2018 में वाणिज्य संकाय में छात्रों का परिणाम 93.56 व छात्राओं का परिणाम 92.86 प्रतिशत रहा था। वर्ष 2017 में छात्रों का परिणाम 94.56 व छात्राओं का परिणाम 98.01 प्रतिशत रहा था। वर्ष 2016 में छात्रों का परिणाम 87.13 व छात्राओं का परिणाम 97.27 प्रतिशत रहा था। वर्ष 2015 में छात्रों का 80.33 व छात्राओं का 93.71 प्रतिशत रहा। वर्ष 2014 में छात्रों का 95.60 व छात्राओं का 98.24 प्रतिशत परिणाम रहा था।
रिकॉल…पिछले साल से बेहतर ही रहा है परिणाम

वर्ष 2019 में वाणिज्य संकाय में 417 छात्र व 234 छात्राओं ने आवेदन किया था। 651 में से 410 छात्र व 233 छात्राओं ने परीक्षा दी थी। 410 छात्रों में से प्रथम श्रेणी से 180, द्वितीय श्रेणी से 164, तृतीय श्रेणी से 36 व ग्रेस से दो छात्र उत्तीर्ण हुए थे। जबकि परिणाम प्रतिशत 93.66 प्रतिशत रहा था। इसी प्रकार 233 छात्राओं में से 148 प्रथम श्रेणी, 61 द्वितीय श्रेणी, 11 तृतीय श्रेणी उत्तीर्ण हुई थी। जबकि परिणाम प्रतिशत 94.42 प्रतिशत रहा था। वाणिज्य में पिछले साल की तुलना छात्रों का परिणाम प्रतिशत 0.1 प्रतिशत बढ़ा था। जबकि छात्राओं का परिणाम 3.03 प्रतिशत गिरा था।
कॉमर्स संकाय का नौ वर्ष परिणाम
वर्ष परिणाम
2011 79.22
2012 80.34
2013 79.57
2014 90.22
2015 85.21
2016 90.40
2017 94.28
2018 94.93
2019 93.93

युवाओं को सीए बनना कम पसंद, डॉक्टर व इंजीनियर बनना ज्यादा
-क्योंकि हर पांच साल में बदलता है संकायवाइज ट्रेंड
भरतपुर. युवाओं में पढ़ाई का ट्रेंड बदल रहा है। हालांकि वाणिज्य संकाय में करीब तीन दर्जन स्कूल ही संचालित है तो विज्ञान संकाय करीब 100 स्कूलों में है। ऐसे में तय है कि हर पांच साल में पढ़ाई व युवाओं में मानसिक बदलाव आता ही रहता है। फिलहाल जितना युवाओं में डॉक्टर व इंजीनियर बनने का सपना देखने को अधिक मिल रहा है, उतना पहले कभी नहीं देखा गया। परिणाम प्रतिशत की बात करें तो 95 प्रतिशत से अधिक लाने वाले विद्यार्थियों की भी भरमार है, लेकिन इन सबके बीच एक खास बात यह भी है कि कॉमर्स संकाय के प्रति पिछले नौ साल के अंदर युवाओं का क्रेज कम होता जा रहा है, जबकि यह क्रेज साइंस के प्रति लगातार बढ़ रहा है। हालांकि इस साल विज्ञान संकाय में भी विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है। विद्यार्थियों की संख्या इस हकीकत को बयां कर रही है। नौ साल में कॉमर्स में विद्यार्थियों की संख्या आधी रह गई है। यही कारण है कि शिक्षा विभाग भी वाणिज्य संकाय में घटती जा रही विद्यार्थियों की संख्या को लेकर चिंता में है। बच्चे सीए, ऑडिटर से अधिक पिछले कई साल से साइंस के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद वाणिज्य संकाय में रोजगार के अवसर बहुत मिल रहे हैं। वाणिज्य संकाय के प्रति लगाव कम होने का एक और बड़ा कारण है कि राज्य सरकार की ओर से इस संकाय में शिक्षकों के पद भी सृजित नहीं किए जा रहे हैं।
ऐसे घट रहे हैं कॉमर्स में विद्यार्थी
वर्ष विद्यार्थी
2013 1460
2014 1340
2015 1028
2016 792
2017 787
2018 677
2019 643
2020 615

विज्ञान में हर साल बढ़े विद्यार्थी
वर्ष विद्यार्थी
2013 7347
2014 7568
2015 7621
2016 7804
2017 8735
2018 9422
2019 10050
2020 8808

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