भरतपुर

Keoladeo National ParkM: घना तक सीमित पर्यटक, जिले के दूसरे पर्यटन स्थल नहीं खींच पाए ध्यान

पक्षियों की दुनिया के लिए देश-विदेश में विख्यात (Keoladeo National Park) के चारों तरफ ही भरतपुर का पर्यटन उद्योग सीमित होकर रह गया है।

भरतपुरJul 09, 2019 / 12:28 pm

rohit sharma

Keoladeo National Park

भरतपुर. पक्षियों की दुनिया के लिए देश-विदेश में विख्यात (Keoladeo National Park) के चारों तरफ ही भरतपुर का पर्यटन उद्योग सीमित होकर रह गया है। अभी तक ज्यादातर पर्यटक केवल घना ही घूमने आते हैं, गिने-चुने पर्यटक ही डीग के जलमहल, भरतपुर संग्रहालय तक पहुंच पाते हैं। जबकि पिछले कुछ समय में जिले के अन्य पर्यटन स्थलों पर करोड़ों रुपए के कार्य करा उन्हें फिर से नया स्वरूप देने का प्रयास किया गया है। जानकारों की माने तो जिले के अन्य पर्यटन स्थलों तक पर्यटक के नहीं पहुंच पाने के पीछे पर्यटन विभाग की ओर से प्रचार-प्रसार का अभाव बताया जा रहा है। साथ ही टूर कंपनियों के आने वाले पर्यटकों के दल तो केवल कुछ घंटे ही भरतपुर में ठहर कर निकल जाते हैं। इस वजह से जिले में पर्यटन उद्योग को वह गति नहीं मिल पाई, जिस तरह प्रदेश के सवाईमाधोपुर, जैसलमेर, जोधपुर समेत अन्य जिलों में देखने का मिला है। जबकि घना को वर्ष 1985 में विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है। वहीं, घना निदेशक डॉ.अजीत ऊचोई ने बताया कि घना के नेचर गाइड व रिक्शा चालक जिले के दूसरे पर्यटन स्थलों को पर्यटकों को जानकारी दें, इसके लिए जल्द एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। घना की ओर से इस पर ध्यान देने का प्रयास किया जा रहा है।

डीग जलमहल देखने 3 माह में केवल 114 विदेशी पर्यटक आए

जिले के अन्य पर्यटन स्थलों की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डीग के जलमहलों को देखने अप्रेल, मई व जून माह में केवल 114 विदेशी पर्यटक ही आए। इस दौरान 4 हजार 939 देशी पर्यटक जलमहलों की खूबसूरती देखने पहुंचे। डीग के जलमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में संचालित हो रहे हैं। इसके बाद भी डीग के जलमहलों को जो पहचान मिलनी चाहिए थी, वह अभी तक देश के पर्यटन जगत में नहीं मिल पाई है। हालांकि, सर्दियों के मौसम में पर्यटकों की संख्या बढ़ जाती है।

करोड़ों खर्च, फिर भी पर्यटकों की आवाजाही कम

वहीं, शहर में घना के बाद पर्यटन की दृष्टि से राजकीय संग्रहालय एक बेहतर प्वाइंट हैं लेकिन यह भी ज्यादा पर्यटक नहीं खींच पा रहा है। जबकि पिछले दिनों एक करोड़ से अधिक की लागत के कार्य होने के बाद इसको नया रंग-रूप दिया गया है। संग्रहालय में 1 सितम्बर 2016 से जनवरी 2017 तक जीर्णोद्वार कार्य हुआ था। उसके बाद 26 जनवरी 2018 को इसको पर्यटकों के लिए खोल दिया। यहां पर जनवरी 2016 से 30 अगस्त 2017 तक 30 हजार 128 पर्यटक आए जबकि जनवरी से सितम्बर 2018 तक 60 हजार 852 पर्यटक संग्रहालय देखने पहुंचे।

घना पहुंचते हैं लाखों पर्यटक

पक्षियों की नगरी घना में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या भी अच्छी है। घना में वर्ष 2016-17 में 1.47 लाख, वर्ष 2017-18 में 1.37 लाख पर्यटक पहुंचे। जबकि वर्ष 2018-18 में जनवरी तक 1.26 लाख पर्यटक घूमने आ चुके थे। इन पर्यटकों से घना की आमदनी ही करोड़ों रुपए की होती है।

कुछ घंटे ठहर निकल जाते हैं पर्यटक

प्रचार-प्रसार के अभाव में भरतपुर आने वाले पर्यटक कुछ घंटे ही ठहर कर आगरा या जयपुर की ओर निकल जाते हैं। पर्यटक विशेष रूप से घना ही घूमने आते हैं। जबकि सीजन के दौरान कई पर्यटक कई दिनों तक भरतपुर में फोटोग्राफी के लिए रुकते हैं लेकिन वह भी घना तक ही सीमित रहते हैं। इससे दूसरे पर्यटन स्थल देश व विदेश में अपनी पहचान के लिए अभी तक जूझ रहे हैं। उधर, टूर कंपनियां भी घना घूमा कर पर्यटकों को दूसरे स्थलों पर लेकर निकल जाती हैं।

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