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देसी तरीके से पपीते उगाए, हो रहे मालामाल

locationभरतपुरPublished: Nov 29, 2022 04:55:56 pm

भरतपुर जिले में भुसावर के किसान कम भूमि में देसी तरीके से बागवानी कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। वे फसल लेने के लिए गोबर की खाद, मुर्गी की बीट, चमगादड की बीट, वर्मी कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग कर रहे हैं।

देसी तरीके से पपीते उगाए, हो रहे मालामाल

देसी तरीके से पपीते उगाए, हो रहे मालामाल

पपीते की मिल रही अच्छी उपज
पिछले साल के मुकाबले इस बार पपीते की पैदावार अधिक हुई है। मंडी भाव ज्यादा होने से मुनाफा भी ज्यादा होने की उम्मीद है। इन्हें जयपुर, दिल्ली व यूपी में भेजा जाता है।

तीन महीने में पौधे तैयार
पहले किसान अपनी जमीन को साफ सुथरा कर उसका सॉईल व सीड ट्रीटमेंट प्लोईंज करते हुऐ हार्वेस्टेंग कल्टीवेशन कर पौधे रोपते हैं। फिर उनको पाला पोषा जाकर दरखत किया जाता है ।बागान मालिक प्रकाश, नवल, रतन सैनी ने बताया कि वे बाहर से पौध लाते हैं। इससे जल्दी ही दो -तीन महीने में पौधे तैयार हो जाते हैं। इनमें फल भी जल्दी आ जाता है।
जैविकीय तरीके से उत्पादन
किसान पपीते की अर्ली बैराईटी लगाने में जुटे हुऐ हैं जो कम समय में ज्यादा व गुणवत्ता युक्त पैदावार प्राप्त होती है। पपीता, आम, जामुन में छाछ, नीम, तम्बाकू की पत्तियां, गोबर की खाद, मुर्गी की बीट, चमगादड की बीट, वर्मी कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग कर रहे हैं। भुसावर की मिट्टी अधिक उपजाऊ है। यहां के बागानों का पपीता जयपुर,दिल्ली, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में जाता है। भुसावर के पपीता का भाव भी ज्यादा मिलता हैं।
मोहन जोशी— भुसावर

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