उज्जैनPublished: Apr 11, 2018 12:36:33 am
Lalit Saxena
जिला विकलांग पुर्नवास केंद्र में पदस्थ चिकित्सक दिव्यांगों के प्रति कितने फिक्रमंद है
जिला विकलांग पुर्नवास केंद्र में पदस्थ चिकित्सक दिव्यांगों के प्रति कितने फिक्रमंद है
उज्जैन. जिला विकलांग पुर्नवास केंद्र में पदस्थ चिकित्सक दिव्यांगों के प्रति कितने फिक्रमंद है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को बडऩगर से पहुंचे दोनों हाथ पैर से पोलियो ग्रसित किशोर का मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने से अस्थि चिकित्सक ने साफ इंकार कर दिया। ये तो गनीमत रही कि अपने दिव्यांग बेटे को लेकर निराश लौटती मां को अन्य चिकित्सक ने देख लिया और तत्काल संज्ञान लेते हुए मेडिकल बना दिया। वरना अगले सप्ताह उस बेसहारा मां को फिर जिला पुर्नवास केंद्र के चक्कर काटने पड़ते।
राहुल (१७) पिता रामलाल रिचा निवासी बडऩगर को मां उमाबाई मंगलवार को दिव्यांगता का सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जिला पुर्नवास केंद्र लेकर पहुंची। राहुल दोनों हाथ-पैरों से पोलियो ग्रसित हैं। जिस वजह से चलने-फिरने और उठने-बैठने में अक्षम है। जिस वजह से उमाबाई को किराए की टैक्सी करके उसे जिला विकलांग पुर्नवास लेकर आना पड़ा, लेकिन यहां पहुंचने के बाद मेडिकल बोर्ड में शामिल अस्थि चिकित्सक डॉ.देवेश पांडे ने मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि ये मेरा मामला नहीं है। जिसके चलते महिला निराश होकर लौटने लगी। आरएमओ ऑफिस के बाहर केंद्र के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अर्पित गेहलोद ने डॉ.एचपी सोनानिया को मामला बताया। जिसके चलते डॉ.सोनानिया ने राहुल का विकलांग सर्टिफिकेट बना कर दिया।
निजी डिस्पेंसरी बनकर रह गया अस्पताल
माधवनगर अस्पताल कुछ डॉक्टर्स की निजी डिस्पेंसरी बनकर रह गया है। यहां केवल वे ही मरीजों को भर्ती कर सकते है। जो मरीज इन चिकित्सकों को निजी क्लीनिक पर दिखाते है उन्हें ये चिकित्सक भर्ती करते है। रात के समय यहां मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता, क्योंकि इस समय ये चिकित्सक क्लीनिक पर नहीं होते।
नहीं उठाया फोन- मामले में डॉ. पांडे से चर्चा करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होनें फोन नहीं उठाया।
इंग्लैंड जाने की देते हैं दुहाई
डॉ.देवेश पांडे का माधवनगर अस्पताल में मरीजों के प्रति उपचार का यही रवैया है। वे अधिकांश मरीजों को इंग्लैड जाने की दुहाई देते रहते हैं और उपचार के बजाए मरीजों को केवल रैफर करने का काम करते हैं। इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान वे सर्दी-खांसी और वायरल तक के मरीजों को नहीं देखते।
राहुल ८० प्रतिशत विकलांग है। कायदे से ये काम अस्थि चिकित्सक का होता है लेकिन मना करने के चलते महिला को अगली बार फिर परेशान होना पड़ता। इसलिए सर्टिफिकेट बना दिया।
डॉ.एचपी सोनानिया, विशेषज्ञ चिकित्सक
मामला गंभीर है। इस प्रकार का अमानवीय कृत्य कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले की जांच के आदेशदिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
संकेत भोंडवे, कलेक्टर