बड़ा सवाल ...पहाड़ वन विभाग में, स्टोन क्रशर्स निजी खातेदारी भूमि पर भले ही राज्य सरकार की ओर से आदिबद्री व कनकांचल पर्वत को वन विभाग को सौंप दिया गया है, लेकिन अभी बहुत सारा हिस्सा ऐसा है, जहां निजी खातेदारी व पहाड़ों के आसपास की जमीन पर 30 से ज्यादा स्टोन क्रशर संचालित हैं। अभी तक किसी भी आदेश में इनको लेकर कोई निर्णय नहीं आया है। अगर यह स्टोन क्रशर यहां लगे रहते हैं तो अवैध खनन रोक पाना मुश्किल होगा। क्योंकि वर्ष 2008 में कामां व डीग के बृज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग में लीजों का आवंटन निरस्त करने के बाद यही परेशानी आई थी। इसके बाद स्टोन क्रशरों को भी हटाया गया था।
परेशानी ये भी...आवंटित लीज चार साल बाद निरस्त वन संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद लीजधारकों के सामने भी एक बड़ी समस्या है। उनका कहना है कि विभाग की आवंटन से लेकर एनओसी की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि व्यापारी आर्थिक संकट से घिर जाता है। छपरा जोन में 2018 में 19 लीजों का ऑक्शन हुआ था। आज तक ईसी जारी नहीं हुई है। चार साल का समय होता है। इसके बाद निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसलिए हाइकोर्ट जाना पड़ा है। इसमें भी यही प्रक्रिया रहेगी तो लीजधारक तो परेशानी से ही जूझते रहेंगे।
बार-बार जनप्रतिनिधि उठाते रहे सवाल -25 अगस्त 2021 को नगर के विधायक वाजिब अली ने भी इस मामले को लेकर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। इसमें साजिद खान के नाम से आवंटित दो लीजों का भी जिक्र किया था। इसमें बताया था कि खनन सीमा से बाहर जाकर बड़ी मात्रा में अवैध खनन कर सरकार को हर माह करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। साधु-संत भी इस मामले को लेकर धरने पर बैठे हैं।
इनका कहना -पहले से ही साधुओं की मांग का समर्थन किया है। खुद मैंने भी एक बार नियमों के दरकिनार कर अधिक खनन होने की शिकायत की थी। कुछ रसूखदारों को भी यहां लीज आवंटित है। इसी दबाव में दोनों पर्वतों को वन संरक्षित क्षेत्र घोषित करने में देरी की जाती रही है। साधुओं को साथ लेकर मंत्रियों से भी मुलाकात कराई थी।
वाजिब अली
विधायक, विधानसभा क्षेत्र नगर - राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। बाकी यह फोन पर करने की बात तो नहीं है। बाद में मीडिया को अवगत कराया जाएगा। जो निर्णय सरकार ने लिया है तो इसमें हम भी क्या कर सकते हैं।
विधायक, विधानसभा क्षेत्र नगर - राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। बाकी यह फोन पर करने की बात तो नहीं है। बाद में मीडिया को अवगत कराया जाएगा। जो निर्णय सरकार ने लिया है तो इसमें हम भी क्या कर सकते हैं।
साजिद खान
प्रधान, पंचायत समिति पहाड़ी
प्रधान, पंचायत समिति पहाड़ी