scriptअब राजनीति नहीं बची, राज करने के लिए हो रही राजनीति | Politics is no more, politics is being done to rule | Patrika News

अब राजनीति नहीं बची, राज करने के लिए हो रही राजनीति

locationभरतपुरPublished: Dec 04, 2019 11:07:50 pm

Submitted by:

rohit sharma

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष रह चुके बुजुर्ग नेता गिरिराज प्रसाद तिवारी का कहना है कि देश के वर्तमान हालातों को देखकर सुधार की अब कोई गुंजाइश नहीं लगती है।

अब राजनीति नहीं बची, राज करने के लिए हो रही राजनीति

अब राजनीति नहीं बची, राज करने के लिए हो रही राजनीति

भरतपुर.राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष रह चुके बुजुर्ग नेता गिरिराज प्रसाद तिवारी का कहना है कि देश के वर्तमान हालातों को देखकर सुधार की अब कोई गुंजाइश नहीं लगती है। चाहे सौ गांधी भी आ जाए, तब भी देश को सुधार पाना मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीति में अब आदर्श, सिद्धांत, नैतिकता व ईमानदारी नहीं बची, अब हर नेता ‘मैं राज करूÓ, इसलिए राजनीति में आ रहे हैं। उनका केवल किसी भी तरह पद पाना एक मात्र लक्ष्य है। यह बात तीन बार विधायक रह चुके तिवारी ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कही।
उन्होंने राजनीतिक पार्टियों पर सवाल खड़े करते कहा कि अब लगता नहीं देश में कोई राजनीतिक पार्टी है, इन पार्टियों में शामिल नेताओं में कोई सिद्धांत व ईमानदारी नहीं है, आज इस पार्टी में और पद मिलने की लालसा में दूसरी तरफ दल-बदल कर लेते हैं। अब तो केवल नाम की ही पार्टियां रह गई हैं।
– प्रश्न:आपका राजनीति का कैसा अनुभव रहा?
-वह पेशेवर राजनीतिज्ञ नहीं थे, केवल सौखिया तौर पर राजनीति में आए थे। आज की राजनीति देख कर तो बड़ा दुख होता है। पहले राजनीति में जिस तरह का वातावरण होता था, वह पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। वह 1985 से 1990 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। उस समय उनके कार्यालय में पक्ष-विपक्ष के लोग हंसी ठहाके और चाय-कॉफी की चुस्की के साथ वार्ता करते थे और जनहित के विषय पर सभी एक होते थे। अब ऐसा कम ही दिखाई देता है।

– प्रश्न:सरकारें बनाने के लिए खरीद-फरोख्त होती है, आप क्या कहते हैं
-अब सरकार बनाने के लिए इंसानों की खरीद-फरोख्त हो रही है। इससे ज्यादा क्या होगा। अब नेताओं के लिए पार्टी की अहमियत नहीं रही, केवल पद, पैसा और कुर्सी के लिए कुछ भी हो सकता है। राजनीति की बातें करना अब अच्छा नहीं लगता, अब हर जगह गड़बड़ हो चुकी है। वह पुराने समय को याद कर समय व्यतीत कर रहे हैं। अब नेताओं में भैरोंसिंह शेखावत, हरदेव जोशी व शिवचरण माथुर जैसी कबीलियत नहीं रही है। हर चीज अब कुर्सी तक सिमट कर रह गई है।
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