बड़ा सवाल…न मुहर बरामद, न रसीद बुक नगर निगम के नाम से कथित फर्जी पट्टा जारी करने के मामले में एक सवाल पुलिस व निगम प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। इतना बड़ा मामला होने के बाद भी अभी तक तीनों एफआइआर में जांच की गति धीमी है। क्योंकि न तो अभी तक आरोपियों से मुख्य आरोपी व उसके साथियों की भूमिका के बारे में कुछ पता लगाया जा सका है, न फर्जी पट्टा जारी करने के काम में आए मुहर व रसीद बुक समेत अन्य दस्तावेजों को बरामद किया जा सका है। पुलिस की जांच भी सिर्फ मुख्य आरोपी के बयान में सामने आए देवकी दलाल तक सिमट कर रह गई है।
अगले 10 दिन में हो सकती है निगम की बैठक
अगले 10 दिन में हो सकती है निगम की बैठक
शहर में नई सफाई व्यवस्था के कारण बिगड़ती जा रही स्थिति व फर्जी पट्टा घोटाला को लेकर एक गुट के पार्षदों में भी विरोध के स्वर मुखर हो चुके हैं। इतना ही नहीं खुद मेयर भी फर्जी पट्टा प्रकरण में आयुक्त को सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित कर चुके हैं। हालांकि अभी सिर्फ फौरी कार्रवाई किए जाने के कारण पार्षद लामबंद हो चुके हैं, जो कि पिछले काफी दिन से नगर निगम की साधारण सभा की बैठक कराने की मांग कर रहे हैं।
किस-किसके संपर्क में था गिरोह बताते हैं कि अभी जांच का विषय यह भी है कि इस घोटाले में शामिल आरोपी किस-किस अधिकारी-कर्मचारी के संपर्क में थे। इनमें एक नाम ऐसा भी बताया जा रहा है कि अक्सर आरोपी उसी अधिकारी के पास बैठा रहता था। ऐसा होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के पास इतने बड़े घोटाले की जानकारी नहीं होना कहीं न कहीं गठजोड़ की कहानी बयां कर रहा है। चूंकि खुद पुलिस का भी मानना है कि यह कहानी अकेले फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह की नहीं हो सकती है। इसमें और भी कई शामिल हो सकती है। नगर निगम के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों से भी इस घोटाले को लेकर पूछताछ की जाएगी।