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घोटाले के मुख्य आरोपी को खेल कोटे से नियुक्ति देने की तैयारी

locationभरतपुरPublished: Aug 18, 2022 12:00:12 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-पांच मई को हुई नगर निगम की बैठक में रखा गया था प्रस्ताव

घोटाले के मुख्य आरोपी को खेल कोटे से नियुक्ति देने की तैयारी

घोटाले के मुख्य आरोपी को खेल कोटे से नियुक्ति देने की तैयारी

भरतपुर. नगर निगम के फर्जी पट्टा जारी करने के मामले में नामजद कथित मुख्य आरोपी को खेल कोटे से नियुक्ति देने की तैयारी तक की जा चुकी थी। नगर निगम की साधारण सभा की बैठक में इसका प्रस्ताव तक रखा गया था। भले ही घोटाले का खुलासा अब हुआ है, लेकिन फर्जी पट्टों को लेकर घोटाले का खेल जनवरी 2022 से ही शुरू हो गया था। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 96 हजार रुपए लेकर जारी किए तीन और दुकानों के फर्जी पट्टे शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था। इससे पहले भी एकमात्र राजस्थान पत्रिका इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है। अब इस मामले में मुख्य आरोपी को लेकर एक बड़ा साक्ष्य हाथ लगा है।
जानकारी के अनुसार चार मई 2022 को हुई नगर निगम की साधारण सभा की बैठक में योगेंद्र शर्मा को खेल कोटे से नियुक्ति देने का प्रस्ताव रखा गया था। हाल में ही नगर निगम की ओर से फर्जी पट्टों को लेकर दर्ज कराई गई एफआइआर में योगेंद्र शर्मा का प्रमुख नाम है। इस बैठक का कार्रवाई विवरण निकलवाने पर सामने आया कि खुद कुछ पार्षदों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। हालांकि अब उन पार्षदों का कहना है कि उन्हें आरोपी के फर्जीवाड़ा करने के बारे में कुछ पता तक नहीं था। बैठक में एक पार्षद ने कहा था कि योगेंद्र शर्मा को खेल कोटे से नियुक्ति देने का प्रकरण पूर्व में सदन के समक्ष प्रस्तुत हुआ था। इसमें मेयर की ओर से प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के का हवाला देकर प्रस्ताव डेफर कर दिया था। इसमें २५ नवंबर २०२१ को स्वायत्त शासन विभाग राजस्थान की ओर से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। निगम में खेल कोटे के छह पद रिक्त हैं। मार्गदर्शन प्राप्ति के पश्चात् योगेंद्र शर्मा को खेल कोटे से सफाई कर्मचारी के पद पर नियुक्ति दे दी जाए। इसका अन्य पार्षदों ने भी समर्थन किया था। आयुक्त ने अवगत कराया था कि उक्त संबंध में व्यक्तिगत में योगेंद्र शर्मा का प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ है। उक्त प्रकरणर वेटिंग पोस्टिंग का है तथा वेटिंग के रूल्स में नियुक्ति देने की अनुमति और अधिकार राज्य सरकार का है। सभी की सहमति से आज की प्रोसेडिंग में शामिल करते हुए प्रकरण को नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को भेज दिया जाएगा।
बड़ा सवाल…न मुहर बरामद, न रसीद बुक

नगर निगम के नाम से कथित फर्जी पट्टा जारी करने के मामले में एक सवाल पुलिस व निगम प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। इतना बड़ा मामला होने के बाद भी अभी तक तीनों एफआइआर में जांच की गति धीमी है। क्योंकि न तो अभी तक आरोपियों से मुख्य आरोपी व उसके साथियों की भूमिका के बारे में कुछ पता लगाया जा सका है, न फर्जी पट्टा जारी करने के काम में आए मुहर व रसीद बुक समेत अन्य दस्तावेजों को बरामद किया जा सका है। पुलिस की जांच भी सिर्फ मुख्य आरोपी के बयान में सामने आए देवकी दलाल तक सिमट कर रह गई है।

अगले 10 दिन में हो सकती है निगम की बैठक
शहर में नई सफाई व्यवस्था के कारण बिगड़ती जा रही स्थिति व फर्जी पट्टा घोटाला को लेकर एक गुट के पार्षदों में भी विरोध के स्वर मुखर हो चुके हैं। इतना ही नहीं खुद मेयर भी फर्जी पट्टा प्रकरण में आयुक्त को सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित कर चुके हैं। हालांकि अभी सिर्फ फौरी कार्रवाई किए जाने के कारण पार्षद लामबंद हो चुके हैं, जो कि पिछले काफी दिन से नगर निगम की साधारण सभा की बैठक कराने की मांग कर रहे हैं।
किस-किसके संपर्क में था गिरोह

बताते हैं कि अभी जांच का विषय यह भी है कि इस घोटाले में शामिल आरोपी किस-किस अधिकारी-कर्मचारी के संपर्क में थे। इनमें एक नाम ऐसा भी बताया जा रहा है कि अक्सर आरोपी उसी अधिकारी के पास बैठा रहता था। ऐसा होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के पास इतने बड़े घोटाले की जानकारी नहीं होना कहीं न कहीं गठजोड़ की कहानी बयां कर रहा है। चूंकि खुद पुलिस का भी मानना है कि यह कहानी अकेले फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह की नहीं हो सकती है। इसमें और भी कई शामिल हो सकती है। नगर निगम के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों से भी इस घोटाले को लेकर पूछताछ की जाएगी।
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