उन्होंने अमृता हाट को कामकाजी महिलाओं के उत्पादों को लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि अमृता हाट ऐसा जरिया है, जहां महिलाएं अपने उत्पादों की प्रदर्शनी के साथ विक्रय कर सकती है। यह लघु और घरेलू उद्यमियों विशेषकर महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए अच्छा मंच है। आज का लघु उद्यमी आने वाले कल में बड़ा उद्योग खड़ा कर सकता है। इससे आर्थिक लाभ भी होगा और लोगों तक गुणवत्ता पूर्ण सामग्री पहुंचने से प्रचार-प्रसार होगा।
महिलाओं के उत्थान के लिए 11 से 17 जनवरी तक कंपनी बाग में लगने वाली अमृता हाट में जहां चार दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। वहीं हाट में आने वाले लोग राज्य के भरतपुर, अलवर, करौली, नागौर, जोधपुर, जयपुर से नमकीन, पापड़, अचार-मुरब्बा, बच्चों के खिलौने, चूडिय़ां, जूतियां, गजक, कपड़े आदि लेकर आई महिलाएं स्वयं निर्मित उत्पादों की बिक्री के साथ प्रचार-प्रसार कर सकेंगी।
महिला अधिकारिता विभाग की ओर से आयोजित अमृता हाट के लिए विभाग सात लाख रुपए का बजट उपलब्ध हुआ है। इसमें भरतपुर सहित राज्य से स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी करीब 80 महिलाओं ने उत्पादों की स्टॉल लगाई है। इन महिलाओं को विभाग की ओर से स्टॉल, पानी, भोजन, ठहरने की व्यवस्था आदि नि:शुल्क दी जा रही है।
वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बेला में शुरूआत में शाम को राजस्थानी लोक नृत्य, बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश देने के लिए नाटक मंच हुआ। इससे हाट परिसर में मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गए। इस श्रंखला में 12 जनवरी को फूल होली, मयूर नृत्य, ब्रज की लठामार होली, 13 को राजस्थान का कालबेलिया नृत्य, घूमर, चरई नृत्य व 14 जनवरी को हरियाणवी होली, रांगनी, लोकगीत आदि कार्यक्रम होंगे।