बता दें कि कांस्टेबल जीतराम की शहादत की खबर न तो बूढ़े माता-पिता को थी और न ही पत्नी व दोनों बेटियों को। परिवार में चाचा व भाई ही हैं जो पूरे गम को सीने में दबाए पार्थिव देह के आने का इंतजार कर रहे थे।
शुक्रवार सुबह पत्रिका संवाददाता शहीद के गांव सुन्दरावली पहुंचा, तो यहां गांव के बाहर ही सरपंच देवहरि गुर्जर के घर पर करीब बीस लोग बैठे दिखे, जिन्होंने संवाददाता को गांव में जाने से रोक लिया।
सरपंच और ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक माता-पिता, पत्नी व परिजनों को जीतराम के शहीद होने की सूचना नहीं है। सरपंच ने बताया कि शहीद की पार्थिव देह देर रात तक आने की सम्भावना है। ऐसे में कोशिश की जा रही है कि पार्थिव देह आने तक परिजनों को शहादत की खबर न दी जाए।
दो दिन पहले ही छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर गया था
शहीद के चाचा पूरन सिंह ने बताया कि जीतराम गुर्जर 12 फरवरी को ही एक माह की छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर गया था। गांव में जीतराम के शहीद होने की सूचना से सन्नाटा पसरा हुआ है। जीतराम अपने चार भाई-बहनों में से दूसरे नम्बर का था। जीतराम के परिवार में पत्नी सुंदरी व दो बेटियां (एक चार माह की व दूसरी डेढ़ साल की), माता-पिता व तीन भाई-बहन हैं।
शहीद के चाचा पूरन सिंह ने बताया कि जीतराम गुर्जर 12 फरवरी को ही एक माह की छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर गया था। गांव में जीतराम के शहीद होने की सूचना से सन्नाटा पसरा हुआ है। जीतराम अपने चार भाई-बहनों में से दूसरे नम्बर का था। जीतराम के परिवार में पत्नी सुंदरी व दो बेटियां (एक चार माह की व दूसरी डेढ़ साल की), माता-पिता व तीन भाई-बहन हैं।