मान मन्दिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकान्त शास्त्री ने बताया कि यात्रियों ने मानगढ़, दानगढ़, भानुगढ़, विलासगढ़ व महेश्वरी दोहिनी कुण्डए माता गोशाला के दर्शन किए। यात्रा में सतत हरिनाम संकीर्तन व ब्रज देवियों का नृत्य यात्रियों को अपार सुख व शांति प्रदान करता है। उन्होंने यह भी बताया कि ब्रज के परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित कराने के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के उपरांत राजस्थान सरकार द्वारा दोनों पर्वतों को संरक्षित वन घोषित करने का निर्णय ले लिया है। शीघ्र ही दोनों पर्वत पूर्ण रूप से खनन मुक्त हो जाएंगे। इस बार की वार्षिक ब्रज चौरासी कोस यात्रा एक विजय उत्सव के रूप में भी निकाली जाएगी। क्योंकि ब्रजवासियों व साधु संतों द्वारा एक लंबे संघर्ष के बाद ब्रज के महत्वपूर्ण पर्वत कनकाचल व आदिबद्री अब पूर्णता सुरक्षित व सरंक्षित होंगे। उन्होंने बताया कि इस चौरासी कोस पदयात्रा में करीब पन्द्रह से बीस हजार यात्री सम्मिलित होते हैं । यात्रा के सह संयोजक ब्रजदास ने बताया कि कोरोना महामारी व अन्य बीमारियों की प्रशासनिक प्रतिबद्धता के कारण इस वर्ष यह यात्रा चालीस दिवस के स्थान पर तीस दिवस की होगी। जिसमें ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा करते हुए ब्रज के समस्त तीर्थ स्थलों व लीलास्थलियों का दर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर तक का पड़ाव बरसाना में है। इसके बाद यात्रा का पड़ाव नंदगांव में डाला जाएगा।