नर्सिंग कर्मचारियों ने उसे यह कहकर टरका दिया कि एआरटी सेंटर तक रिक्शा चला जाता है। रिक्शा से ले जाओ। मजबूर बेटी ने रिक्शा चालक से विनती की और रिक्शा से मां को सर्जिकल वार्डलेकर पहुंची थी कि वह भी दुनिया छोड़ कर चली गई। मां की मौत पर बेटी बिलखने लगी तो रिक्शा चालक उसका मोबाइल लेकर फरार हो गया।
भरतपुर के सैनिक गोदाम के पास स्थित एक कॉलोनी निवासी 15 वर्षीय किशोरी ने बताया कि वह मूलत: बिहार के लखीसराय जिला की रहने वाली है। पिता एक सशस्त्र पुलिस बल में सिपाही थे, जिनकी छह साल पहले एड्स के चलते मौत हो गई। मां को एक सरकारी कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी पद पर अनुकंपा नौकरी मिल गई।
पिता की मौत के बाद से ही 40 वर्षीय मां बीमार रहने लगी। उसका जयपुर भी उपचार कराया लेकिन जनवरी में मालूम हुआ कि मां को भी एड्स है। अस्पताल के एआरटी सेंटर से उसका उपचार शुरू हो गया था। वह दूसरी बार मां को दवा दिलाने आरबीएम अस्पताल रिक्शा से लेकर आईथी, क्योंकि अब मां बिहार जाने की जिद कर रही थी। छोटा भाई दिल्ली में चाची को छोडऩे गया था, जो रास्ते में आ रहा है।
एआरटी सेंटर और मृतका की बेटी के मुताबिक, महिला के पति की २०१२ में एड्स के चलते मौत हुई थी। महिला को भी पति से एड्स हुआ था। यूं मरी इंसानियत
बीमार मां लेकर किशोरी जब ट्रोमा सेंटर पहुंची तो वहां पर कोई चिकित्सक नहीं मिला। न ही उसे स्ट्रेचर और व्हील चेयर मिली। बर्न वार्ड के पास स्टे्रचर मिला तो रिक्शा से मां को उतारा तो उसकी सांसे नहीं चल रही थी।
बीमार मां लेकर किशोरी जब ट्रोमा सेंटर पहुंची तो वहां पर कोई चिकित्सक नहीं मिला। न ही उसे स्ट्रेचर और व्हील चेयर मिली। बर्न वार्ड के पास स्टे्रचर मिला तो रिक्शा से मां को उतारा तो उसकी सांसे नहीं चल रही थी।
यह देख किशोरी रोने लगी तो लोग आनन-फानन में उसे ओपीडी लेकर पहुंचे। वहां पर चिकित्सक महिला की नब्ज देखने के नाम पर एक-दूसरे के पास टरकाते रहे। जब भीड़ ने हंंगामा किया तो एक चिकित्सक ने महिला की जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया।
जिस भी कर्मचारी ने व्हीलचेयर व स्ट्रेचर देने से मना किया था तथा रिक्शे से एआरटी सेंटर जाने के लिए क हा था उसका पता कर मामले की जांच कराई जाएगी तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
केसी बंसल, अधीक्षक, आरबीएम अस्पताल।
केसी बंसल, अधीक्षक, आरबीएम अस्पताल।