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संग्रहालय का स्वरूप लौटा तो बढ़ी पर्यटकों की संख्या

locationभरतपुरPublished: Dec 26, 2018 10:41:20 pm

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pramod verma

भरतपुर. राजकीय संग्रहालय में वर्षों बाद लाखों रुपए की लागत से जीर्णोद्धार, संरक्षण व विकास कार्य होने से इसका स्वरूप निखरा है। संग्रहालय के वैभव में निखार आने से देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।

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भरतपुर. राजकीय संग्रहालय में वर्षों बाद लाखों रुपए की लागत से जीर्णोद्धार, संरक्षण व विकास कार्य होने से इसका स्वरूप निखरा है। संग्रहालय के वैभव में निखार आने से देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। वहीं विभाग की आय भी बढ़ी। अब दोपहर से रात तक संग्रहालय के दरवाजे खुले रहते हैं, जहां पर्यटक लोहागढ़ के इतिहास की जानकारी लेते हैं।
गौरतलब है कि संरक्षण से पहले वर्ष 2016 में अगस्त माह में कुल 03 हजार 408 देशी-विदेशी पर्यटक आए। इनसे 68 हजार 450 रुपए का राजस्व विभाग को मिला। वहीं वर्ष 2018 के जनवरी माह में दरवाजा खोला तो नवम्बर तक 71 हजार 339 पर्यटक आए। इनसे 14 लाख 71 हजार 940 रुपए का राजस्व मिला।
पुरातत्व विभाग ने पुरा वस्तुओं के जीर्णोद्धार व संरक्षण की सुध वर्ष 2016 के सितम्बर माह में ली। तब इसके दरवाजे पर्यटकों के लिए बंद कर दिए गए. जिसे 26 जनवरी 2018 में खोला गया। इन महीनों में करीब 03 करोड़ 88 लाख रुपए की लागत से कार्य कराया गया। तब संग्रहालय की रौनक लौटी।
यहां पर रियासत कालीन कमरा खास, झूमर, चिमनी, फर्नीचर, हमाम घर, बारहा दरी, 56 खंभे, जनता दरबारआदि बारह दीर्घाएं और फव्वारों का संचालन हो रहा है। इनमें उस समय कुछ दीर्घाएं संरक्षण ना होने के कारण नहीं खोली गई। संरक्षण कार्य हुआ तो इस वर्ष जनवरी में पर्यटकों के लिए खोल दी गई। पुरातत्व विभाग भरतपुर के अधीक्षक हेमेंद्र अवस्थी का कहना है कि लोहागढ़ के राजा-महाराजाओं का इतिहास संग्रहालय में पढ़ा और देखा जा सकता है।
इतिहास गवाह है कि 19वीं शताब्दी के पूर्वाद्र्ध में संग्रहालय स्थापित किया गया, जहां आज बारूद के गोले, तलवार, कवच, शिकार की शैली, मूर्तियां और अन्य पुरावस्तुएं लोहागढ़ के राजाओं की कीर्ति को बयां कर रही हैं।संग्रहालय में जीर्णोद्धार व संरक्षण का कार्य होने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। काफी हद तक इसका वैभव लौट आया है। पर्यटक यहां का इतिहास जानने में रुचि दिखाते हैं।
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