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Rajasthan News: नए जिला परिषदों के गठन में अलग नहीं होगा कोई भी राजस्व गांव, पंचायतों को मिलेगी ये सौगात

Rajasthan News: राजस्थान में नई जिला परिषदों की गठन प्रक्रिया में कोई राजस्व गांव विभाजित नहीं किया जाएगा। बल्कि आंशिक रूप से शामिल हुई ग्राम पंचायतों को...

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डीग। राजस्थान में नई जिला परिषदों की गठन प्रक्रिया में कोई राजस्व गांव विभाजित नहीं किया जाएगा। बल्कि आंशिक रूप से शामिल हुई ग्राम पंचायतों को मुख्यालय की सौगात मिल सकती है। ऐसी ग्राम पंचायतों को फायदा मिलेगा जो टूटकर डीग जिले की सीमा में शामिल हुई हैं।

गाइड लाइन में स्पष्ट है कि जिले की सीमाओं का अति उल्लंघन भी नहीं किया जाएगा। ऐसे में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की गाइड लाइन के नियमों से आंशिक रूप से शामिल हुए गांवों को नई पहचान मिल सकती है।

नए कलेवर में आ सकते हैं राजस्व गांव

राजस्व गांव ग्राम पंचायत या पंचायत समिति मुख्यालय के रूप में विकसित हो सकते हैं। गाइड लाइन के मुताबिक पृथक से नई पंचायतों के गठन के नियमों में पृथक से नई पंचायत समिति या ग्राम पंचायत के रूप में बनाए जाने के लिए ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता मिलेगी जो आंशिक रूप से शामिल हुए हैं। हालांकि ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद वार्डों का गठन जनसंख्या के आधार पर होना तय है।

12 लाख से ज्यादा आबादी

नए बने डीग जिले में डीग, जनूथर, कुम्हेर, रारह, नगर, सीकरी, कामां, जुरहरा और पहाड़ी तहसील क्षेत्र शामिल हैं। मौजूदा आंकडों में जिले की कुल आबादी 12 लाख से ज्यादा है। कुल क्षेत्रफल 2172 वर्ग किमी है।

इन जिलों में होगा जिला परिषदों का गठन

राजस्थान में 8 नए जिलों डीग, फलौदी, बालोतरा, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, डीडवाना-कुचामन और सलूबर में जिला परिषदों का गठन होगा। पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का भी पुनर्गठन किया जाएगा।

पंचायतराज संस्थानों के गठन-पुनर्गठन की प्रक्रिया

प्रस्ताव तैयार करना: 10 जनवरी से 18 फरवरी, 20 दिन
प्रस्तावों पर आपत्ति आमंत्रण: 20 फरवरी से 21 मार्च
आपत्तियों का निस्तारण: 23 मार्च से 1 अप्रैल
पंचायतराज विभाग को भेजना: 3 अप्रैल से 15 अप्रैल

यह है गाइड लाइन

मूल जिलों से नवगठित जिले की अधिकारिता में जो पंचायत समितियां या ग्राम पंचायतें आंशिक रूप से आई हैं, उन्हें नवगठित जिले में यदि किसी अन्य पंचायत समिति या ग्राम पंचायत में समाहित किया जा सकता है तो समाहित करके प्रस्ताव तैयार करें। यदि समाहित नहीं किया जा सकता है तो पृथक से नई पंचायत समिति या ग्राम पंचायत के रूप में बनाए जाएं। कार्रवाई में किसी भी राजस्व ग्राम को विभाजित नहीं किया जाएं। राजस्व जिले की सीमाओं का अतिउल्लंघन नहीं किया जाएगा।

नवगठित व पुनर्गठित जिला परिषदों के वार्डों का गठन एवं पुनर्गठन किया जाएगा। जो वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर चार लाख तक की जनसंख्या के लिए 17 वार्ड तथा जिसकी जनसंख्या चार लाख से अधिक है, चार लाख से अधिक के प्रत्येक एक लाख या उसके भाग के लिए 17 की उक्त संख्या में दो की बढ़ोतरी की जाएगी।

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