हर वर्ष बच जाते हैं सैकड़ों पास
जानकारी के अनुसार हर वर्ष 500 से एक हजार तक यात्री अपने रियायती पास लेने नहीं पहुंचते। ऐसे में ये पास कार्यालय में ही बच जाते हैं। प्रभारी हरि सिंह ने बताया कि रियायती पास के लिए आवेदन करने के बाद कई यात्री या तो भूल जाते हैं या फिर लापरवाही के चलते नहीं ले जाते। कई ऐसे भी होते हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी होती है।
स्वतंत्रता सेनानी, स्वतंत्रता सेनानी का एक सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानियों की विधवाएं, विधवा का एक सहयोगी, युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाएं व उन पर आश्रित अवयस्क संतानें, 1999 व उसके बाद शहीद हुए सैनिकों के माता-पिता, एससी/एसटी की 8वीं कक्षा तक की छात्राएं, पदम पुरस्कार से सम्मानित व एक सहयोगी, नेत्रहीन व एक सहयोगी, श्रवण बाधित, दिव्यांग (अस्थि), मानसिक विमंदित व एक सहयोगी, कम दृष्टि निशक्तता, मानसिक रुग्णता व एक सहयोगी, कुष्ठ रोग मुक्त, अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में राज्य के पदक विजेता, राष्ट्रपति पुलिस मेडल फॉर गेलेन्ट्री एवं पुलिस मेडल फॉर गेलेन्ट्री अवार्ड प्राप्त व एक सहयोगी और अधिस्वीकृत पत्रकारों को रोडवेज में निशुल्क यात्रा की सुविधा है।
असंक्रामक कुष्ठ रोगी, थैलीसीमिया रोगी व एक सहयोगी, एड्स रोगी, कैंसर रोगी व एक सहयोगी, विद्यार्थी, राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक, निगम के लाइसेंसधारी कुलियों को नगरीय सेवाओं में निवास से बस स्टैण्ड तक आने-जाने में रियायत, महिलाओं द्वारा समूह (कम से कम 5) में यात्रा करने पर, आदिवासी जनजाति क्षेत्रों में संचालित साधारण सेवा वाहनों में आदिवासियों को, महिलाओं को, झील का बाड़ा, रामदेवरा, पुष्कर मेले के यात्रियों को, हीमोफिलिया रोगी व एक सहयोगी, अधिस्वीकृत पत्रकारों को राजस्थान राज्य की सीमा व दिल्ली तक यात्रा के लिए वातानुकूलित व वोल्वो बस में रियायत दी जाती है।