भरतपुर

पहले वैट और अब रोजाना बढ़ रहे दामों से गिरी पेट्रोप पंपों की बिक्री

– राजस्थान में यूपी से 9.80 रुपए महंगा डीजल, पेट्रोल 6 रुपए- यूपी बॉर्डर से सटे पेट्रोल पंपों पर पसरा सन्नाटा- पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी से भी ज्यादा वैट की दर

भरतपुरJun 28, 2020 / 07:39 pm

Meghshyam Parashar

पहले वैट और अब रोजाना बढ़ रहे दामों से गिरी पेट्रोप पंपों की बिक्री

भरतपुर . पेट्रोल-डीजल के दामों में प्रतिदिन हो रही बढ़ोतरी ने उत्तरप्रदेश से सटे पेट्रोप पंप संचालकों की हालत पतली कर दी है। दामों में भारी अंतर की वजह से ग्राहक कुछ किलोमीटर बॉर्डर पार कर डीजल-पेट्रोल डलवाने यूपी सीमा में जा रहा है। इससे इन पेट्रोप पंपों की बिक्री में भारी गिरावट आई है।
देश में संभवतया वर्तमान में सबसे अधिक दाम पर पेट्रोल-डीजल राजस्थान में बिक रहा है। वैट दरों से पहले ही पेट्रोल पंप संचालकों को मुश्किल में डाल रखा था अब रही-सही कसर कोरोना वायरस से वाहनों की कम हुई आवाजाही ने कर दी। जिले में आगरा व मथुरा की सीमा से लगे पेट्रोल पंपों की बिक्री में 70 फीसदी की गिरावट आई है। इन पंप संचालकों को पड़ोसी प्रदेशों में सस्ते मिल रहे पेट्र्रोल-डीजल से जूझना पड़ रहा है। यूपी में राजस्थान से कम वैट होने से यहां पर डीजल में करीब 9.8 0 और पेट्रोल में 6 रुपए प्रति लीटर का अंतर आ रहा है।
प्रदेश में 11 माह में 9 फीसदी बढ़ा वैट

प्रदेश में पेट्र्रोल-डीजल पर 11 माह में वैट 9 फीसदी बढ़ चुका है। इससे पहले राज्य सरकार ने जुलाई माह में भी 4 फीसदी टैक्स की बढ़ोतरी की थी। लॉक डाउन के बीच चार फीसदी और फिर एक फीसदी और टैक्स लगाने प्रदेश में पेट्रोल पर 31 और डीजल पर वैट की दर 27 फीसदी है। जबकि जीएसटी में अधिकतम दर 28 फीसदी रखी गई है।
जिले में प्रतिदिन 25 हजार लीटर सप्लाई, अब और गिरी

जिले में लॉक-डाउन से पहले डीजल-पेट्र्रोल की सप्लाई करीब 27 से 30 हजार लीटर प्रतिदिन थी। लॉक-डाउन में यह 6 से 8 लीटर प्रतिदिन ही रह गई। जबकि चार साल पहले वर्ष 2016 में जिले में डीजल-पेट्रोल की सप्लाई करीब 80 हजार से एक लाख लीटर प्रतिदिन थी। इसकी वजह उस समय उत्तरप्रदेश और राजस्थान में टैक्स की दरों में ज्यादा अंतर नहीं था। इससे बिक्री पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। जिले में करीब 140 पेट्र्रोल पंप है जबकि शहर में 10 पंप हैं।
सीमावर्ती जिलों में हो रही कालाबाजारी

राजस्थान में अन्य राज्यों से सर्वाधिक वैट लगने से सीमावर्ती पेट्रोल पंप अधिक प्रभावित हो रहे हैं। इन इलाकों में पेट्र्रोल-डीजल की बिक्री में लगातार घट रही है और कालाबाजारी शुरू हो गई। डीजल पर 10 रुपए का अंतर आने से लोग यूपी से ड्रम भरवाकर उसे फुटकर में जगह-जगह दुकानों पर रखकर बेच रहे हैं। प्रदेश में दूसरे राज्यों से सटे करीब 24 जिले प्रभावित हो रहे हैं जो उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब और गुजरात की सीमा सटे हुए हैं। इन सभी राज्यों में वैट की दर राजस्थान की अपेक्षा कम हैं।
आम-आदमी व काश्तकार भी परेशान

रोजाना बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल पर दामों से आम-आदमी और काश्तकार परेशान हैं। उसका बजट गड़बड़ाने लगा है। उधर, यूपी सीमा से सटे किसान व लोग अब बॉर्डर पार कर डीजल-पेट्रोल एक साथ ड्रम में भरवाकर ला रहे हैं। इसमें उन्हें बचत हो रही है। वहीं, यूपी की ओर जाने वाले वाहन चालक भी बॉर्डर ही ऑयल डलवा रहे हैं।
इनका कहना है

प्रदेश में पेट्र्रोल-डीजल पर टैक्स की दरें सबसे अधिक हैं। जिले में पेट्रोप पंपों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। विशेष कर यूपी से सटे और हाई-वे के पेट्रोल पंप पर न के बराबर बिक्री है। बड़े वाहन चालक यूपी में जाकर ऑयल डलवा रहे हैं। वहीं काश्तकार भी बॉर्डर पार कर डीजल ला रहा है। इससे पंप संचालकों को भारी नुकसान हो रहा है। प्रदेश सरकार ने टैक्स में कमी नहीं की तो पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर आ जाएंगे।
– धर्मेन्द्र, उपाध्यक्ष, भरतपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन

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