क्या है हीमोफीलिया प्राचार्य मेडिसिन डॉ. मुकेश गुप्ता ने बताया कि हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है, जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इस कारण यह चोट व दुर्घटना में जानलेवा साबित होती है। इस बीमारी में खून का थक्का जमाने वाले फैक्टर 8 , फैक्टर 9 या फिर दोनों की कमी हो जाती है। इससे शरीर के भीतरी या बाहरी हिस्सों में खून का रिसाव होने लगता है। रिसाव के चलते हाथ-पैर के जोड़ खराब होने लगते हैं। रिसाव रोकने के लिए ऊपर से फैक्टर लगाए जाते हैं। इससे ज्यादातर पुरुष प्रभावित होते हैं। पांच हजार की आबादी पर एक व्यक्ति इससे पीडि़त होता है।
क्या है थैलेसीमिया डॉ. हिमांशु गोयल सहायक आचार्य शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त रोग है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। इस कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते है। इसमें खून में हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है, जिससे पीडि़त को हर महीने खून चढ़वाना पड़ता है। बार-बार खून चढ़ाने से शरीर में आयरन जमा हो जाता है, जिसे कम करने के लिए दवाएं खानी पड़ती हैं। उन्होंने पैथोलॉजी ने थैलेसेमिया से बचाव के उपायों पर चर्चा कर सभी प्रतिभागियों को लाभान्वित किया।
मेरा प्रमाण पत्र मेरा सम्मान अभियान फील्ड ब्लड सैल अधिकारी पवन शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देषानुसार थैलेसीमिया, हिमोफीलिया और सिकल सेल एनीमिया पीडि़तों के अब दिव्यांग प्रमाण पत्र बन रहे हैं। इसके लिए चिकित्सा विभाग की ओर से 28 फरवरी 2022 तक विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। यदि आप के आस पास इससे पीडि़त व्यक्ति हैं तो उन्हें सहयोग व जानकारी दें ताकि इन्हें दिव्यांग जन को नियमानुसार देय हर प्रकार की राजकीय सहायता और योजनाओं का लाभ मिल सकें।
विवाह से पहले कराएं जांच पवन शर्मा ने बताया कि मैरिज ब्यूरो, विवाह रजिस्ट्रेशन कराने वाली सोशल मीडिया साइट, धार्मिक ग्रुप, जातिगत सामाजिक गु्रप शादी की कुंडली मिलाने के साथ ही लड़के एवं लडकी की थैलेसीमिया, हिमोफीलिया की जांच कर यह सुनिश्चित करें कि उन्हें यह बीमारी को तो नहीं है, जिससे उनसे उत्पन्न होने वाली संतान को सुरक्षित किया जा सके।