नहीं बज सकते बैंडबाजे, हॉर्न
साईलेंस जोन घोषित होने के बाद अब केवलादेव की 500 मीटर परिधि में शोरगुल पर पूर्वरूप से पाबंदी है। इस दायरे में अतिशबाजी, हॉर्न, लाउण्डस्पीकर, बैण्डबाजे, डीजे तथा तेज संगीत नहीं बज सकता है। लेकिन इसके बाद भी घना के आसपास संचालित मैरिज होम व होटलों में शादी समेत अन्य कार्यक्रमों में खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। जिम्मेदार एक-दूसरे पर टाल-मटोल करते हैं लेकिन कार्रवाई कोई नहीं करता है। इसके चलते पक्षियों की दुनिया में खलल दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा, जिस पर घोषित हुआ था साईलेंस जोन
गौरतलब रहे कि घना के आसपास बढ़ते शोर-शराबे को लेकर पत्रिका ने पूर्व में मुद्दा उठाया था। जिस पर तत्कालीन जिला कलक्टर गौरव गोयल ने वन विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र लिखा था। उसके बाद राज्य सरकार ने घना की 500 मीटर की परिधि में साईलेंस जोन घोषित कर दिया था। इसके तहत सरकार ने ध्वनि प्रदूषण नियम 2000, नियम 3 (2) के तहत इस क्षेत्र को साईलेंस जोन घोषित कर दिया था।
एक बोर्ड लापता, दूसरे पर पोस्टर लगे
500 मीटर के दायरे में शोर निषेध क्षेत्र अथवा शांत वातावरण के लिए यूआईटी ने सूचना बोर्डलगाए थे। यह बोर्ड केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य द्वार, सामने होटल के पास, सारस चौराहे व विश्वप्रिय शास्त्री पार्क मोड़ पर लगाए गए हैं। इसमें होटल के पास लगा बोर्ड लापता हो चुका है। इसी तरह एक अन्य बोर्ड पर पोस्टर लगने और लिखा हुआ मिटने से वह पढऩे में ही नहीं आता है। जिस वजह से कई बार वाहन चालकों को साईलेंस जोन की जानकारी तक नहीं हो पाती है।