ये है इनके संचालन का उद्देश्य सरकार ने जुलाई 2020 में महात्मा गांधी गर्वमेंट स्कूलों की शुरूआत की थी। इसके तहत राज्य के प्रत्येक जिले में एक स्कूल का संचालन किया गया। इसके बाद वर्ष 2020 से प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर इन स्कूलों का संचालन हुआ। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य शिक्षा के अधिकार के तहत ऐसे वर्ग के बच्चों को अंगे्रजी मीडियम में पढ़ाना था, जो आर्थिक तंगी के चलते अंगे्रजी स्कूलों में नहीं पढ़ पाते और मजबूरी में उन्हें सरकारी हिंदी माध्यम में पढऩा पड़ता है। सरकार का मानना था कि इससे शिक्षा का स्तर सुधरने के साथ ही अभिभावकों का अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने का सपना भी साकार होगा।
स्टाफ के एक लाख से हुई शुरुआत वर्ष 2020 में जब इसका संचालन शुरू हुआ तो यहां के हालात काफी दयनीय थे। विद्यालय का फर्श नीचा होने के कारण यहां जलभराव की समस्या बनी रहती थी। सरकार से मिलने वाले बजट और उसके अनुरूप काम कराने में काफी समय लगता। ऐसे में विद्यलाय स्टाफ ने ही एक मत होकर विद्यालय को संवारने के लिए करीब एक लाख रुपए का चंदा आपस में इक_ा किया। इसके बाद विद्यालय के मुख्य गेट सहित फर्श को मिट्टी डलवाकर करीब 5-6 फीट ऊंचा कराया। इसकी जानकारी जब आसपास के क्षेत्र के लोगों को हुई तो अन्य भामाशाह भी आर्थिक रूप से इस पुनीत कार्य में योगदान देने को आगे आए। भामाशाहों की ओर से दिए गए एक लाख रुपए के सहयोग से विद्यालय भवन की मरम्मत आदि का कार्य भी कराया गया। आज विद्यालय में कुल 26 शिक्षकों का स्टॉफ है।
गांधी गलियारे वाला पहला स्कूल विद्यालय का नाम 'महात्मा गांधी गर्वमेंट स्कूलÓ है। नाम के अनुरूप ही विद्यालय में एक गांधी गलियारे का भी निर्माण कराया गया है, जो अन्य ब्लॉक के विद्यालयों में नहीं है। इसे बनाने के पीछे प्रधानाचार्या का उद्देश्य विद्यार्थियों को गांधीजी के जीवन चरित्र से परिचित कराना था। उनका मानना है कि महात्मा गांधी के नाम पर स्कूल का संचालन होता है तो यहां पढऩे वाले विद्यार्थियों कोउनके जीवन से जुड़ी अहम बातों की जानकारी होनी चाहिए।इस गलियारें में महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े फोटो और लेख हैं।
ये है आगामी योजना विद्यालय में बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए प्रोजेक्टर के माध्यम से ई-कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। वहीं शिक्षा के स्तर को हाईटेक करने के लिए यहां एक स्मार्ट कक्षा कक्ष बनाया जाएगा। साथ ही विद्यार्थियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भामाशाहों के सहयोग से एक वॉटर प्यूरिफायर भी लगाया जाना है। इसके लिए भामाशाहों का काफी सहयोग मिल रहा है।
इनका कहना है विद्यालय में विकास कार्य कराने के लिए भामाशाहों का पूरा सहयोग मिल रहा है। सरकारी बजट से काम कराने में काफी समय लगता है। विभागीय प्रक्रिया लंबी चलती है। अभी तक विद्यालय में भामाशाहों के सहयोग से करीब 10 लाख रुपए के विकास कार्य कराए जा चुके हैं। विद्यालय में सभी कक्षाओं की सीटें भी फुल चल रही हैं। भामाशाहों के सहयोग से यह विद्यालय एक आदर्श विद्यालय का रूप ले रहा है। इससे बच्चों और अभिभावकों का सरकारी स्कूलों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है।
- मनीषा चौधरी, प्रधानाचार्या