भरतपुर

भ्रष्टाचार का खुलासा करते ही बंदी से परिजनों की बात बंद!

-सेवर में जेल में भ्रष्टाचार का एक और बड़ा खुलासा, पिछले करीब तीन साल से आ रहे बड़े मामले सामने

भरतपुरJun 13, 2021 / 03:04 pm

Meghshyam Parashar

भ्रष्टाचार का खुलासा करते ही बंदी से परिजनों की बात बंद!

भरतपुर. पिछले कुछ साल से विवादों से घिरी सेवर जेल में भ्रष्टाचार व रंगदारी का एक और बड़ा मामला सामने आया है। इसमें हत्या के प्रकरण में बंद एक बंदी के परिजन को फोन कर दूसरे बंदी ने रकम मांगी है। जब मामले की शिकायत करते हुए बंदी के चाचा ने सेवर थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी तो पुलिस ने बिल्कुल इंकार कर दिया। साथ ही एक और सलाह दे डाली कि जिसके पास फोन आया था, वह हैदाराबाद था। इसलिए रिपोर्ट भी हैदाराबाद दर्ज करानी चाहिए। इधर, मामले का खुलासा होने के बाद जेल प्रशासन ने रविवार को बंदी की बात परिजनों से कराने से इंकार कर दिया। परिजनों ने काफी देर तक जेल के बाहर हंगामा भी किया।
जानकारी के अनुसार 11 सितंबर 2017 को कुम्हेर थाना क्षेत्र के साबोरा ग्राम पंचायत के सरपंच व ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष दान सिंह की भरतपुर शहर में सिविल लाइन कॉलोनी में स्थित मकान के सामने शार्प शूटरों की ओर से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में मृतक का पुत्र गजेन्द्र सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस केस में अनेक सिंह पुत्र रतन सिंह निवासी साबौरा थाना कुम्हेर को भी गिरफ्तार किया गया था, जो कि सेवर जेल में बंद है। 11 जून को बंदी अनेक सिंह ने भाई अनूप सिंह चाहर को सुबह नौ बजकर 49 मिनट पर मोबाइल नंबर से कॉल किया और कहा कि दो हजार रुपए फोन पे पर डाल देना। इतने में ही दूसरे बंदी भूरा पुत्र महताब ने रकम की डिमांड करते हुए खुद के भाई सब्बीर का मोबाइल नंबर दिया। साथ ही धमकी दी कि अगर रुपए नहीं डाले तो तुम्हारे भाई को प्रताडि़त किया जाएगा। 12 जून को सुबह करीब 11 बजे जेल की एसटीडी से दुबारा से अनेक सिंह ने भाई को फोन कर रुपए डालने को कहा और बताया कि रुपए डाल देना इनको, ये लोग बहुत परेशान कर रहे हैं। इस पर अधिवक्ता से सलाह लेने के बाद साबौरा निवासी लालसिंह पुत्र नारायण सिंह चाचा को परिवाद लेकर सेवर थाने भेजा। जहां पुलिस ने परिवार यहां दर्ज करने के बजाय हैदराबाद ही दर्ज कराने की सलाह दे डाली।
सच ये…जेल में बिकता है महंगे दामों में प्रतिबंधित सामान

सेवर जेल में यह पहला मामला नहीं है कि जब भ्रष्टाचार की पोल खुलकर सामने आई है। आठ सितंबर 2020 को भी सेवर जेल में प्रतिबंधित सामान महंगे दामों में बेचने व बड़े अपराधों में सजा काट रहे बंदियों के जेल की मैस चलाने का खुलासा हुआ था। इसमें छोटे बंदियों को परेशान करते हुए उन्हें गुणवत्ताहीन भोजन देने की बात भी स्पष्ट हुई थी। खुद सेवर जेल के एक कर्मचारी ने भी पत्र लिखकर इस प्रकरण का खुलासा किया था। प्रदेश की कड़ी सुरक्षा वाली सेवर जेल का स्टाफ ही कैदियों को मोटी रकम लेकर मोबाइल फोन और सिम उपलब्ध करा रहा था। उस समय बटन वाले मोबाइल के लिए 20 हजार और टच स्क्रीन वाले मोबाइल के लिए 50 हजार रुपए तक वसूले जाने का खुलासा हुआ था। जबकि इस जेल में देशभर के नामी बदमाश भी बंद है।
सवाल मांगते जबाव

-सेवर जेल में गोपनीय जांच कराई जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है?

-सेवर थाना पुलिस ने प्रकरण की रिपोर्ट दर्ज करने से क्यों मना किया?

-जेल में चल रहे इस खेल में पूरे सिस्टम की हिस्सेदारी तो तय नहीं है?
-हर खुलासा होने के बाद भी कड़ी कार्रवाई उच्चस्तर से क्यों नहीं हुई?

-वास्तव में नकदी के दम पर जेल में सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही?

-मेरे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। अगर ऐसा कोई मामला है तो अभी खुद जाकर देखता हूं कि किस बंदी को प्रताडि़त नहीं करने के एवज में रकम मांगी है या कोई और मामला है।
अशोक कुमार वर्मा, अधीक्षक केंद्रीय कारागार सेवर
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