सर्चिंग पर रखते हैं नजर
जानकारी में आया है कि यह लोग खास तौर से ऐसे लोगों को ऐसे वीडियो या ङ्क्षलक भेजते हैं, जो अक्सर धन दोगुना करने, रातोंरात लखपति बनाने सहित अन्य प्रलोभन देने वाले विज्ञापन देखते हैं। ऐसे लोगों की यह पूरी तरह निगरानी करते हैं। इसके बाद ऐसे लोगों को यह वीडियो भेज देते हैं, उनकी ओर से इसका कन्फर्म करने के लिए फोन किया जाता है। इसके बाद ठग इन्हें अपने जाल में फंसाकर ओटीपी लेकर उनके खाते में पड़े पैसों को निकाल लेते हैं।
ठग आगे और पुलिस पीछे
मेवात में सक्रिय ठग पुलिस को खूब छका रहे हैं। इसकी वजह यह है कि यहां ठग पुलिस से भी दो कदम आगे चल रहे हैं। पुलिस की साइबर टीम ऐसी सिमों को चिह्नित कर उनको बंद कराती है, जबकि मेवात के ठग पश्चिम बंगाल एवं असम आदि क्षेत्रों में जाकर फिर इक_ी सिम ले आते हैं। सूत्र बताते हैं कि इन ठग गिरोह के पश्चिम बंगाल एवं असम आदि क्षेत्रों में भी ऐसे ही आपराधिक किस्म के लोगों से संबंध हैं, जो इन्हें यहां अपनी आइडी पर सहज ही सिम उपलब्ध करा देते हैं, जब तक पुलिस इनकी पड़ताल कर वहां तक पहुंचती है, तब तक वह सिम को बंद कर चुके होते हैं। ऐसे में पुलिस इस अवैध धंधे पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
सालभर में 160 बार आई बाहर की पुलिस
मेवात में सक्रिय ठगों की संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2022 यानि एक साल में 160 बार से अधिक बार पुलिस के राज्यों की पुलिस यहां ठगों की तलाश में पहुंची। स्थानीय पुलिस ने यहां से 68 आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें बाहरी पुलिस को सौंपा। इसके अलावा बिना स्थानीय पुलिस को सूचित किए 12 बार मेवात में पुलिस टीम पहुंची। वर्ष में दो बार पथराव जैसी घटनाएं भी हुईं। पुलिस ने ऐसे 8 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया।
पुलिस ने यह की अब तक कार्रवाई
– 58 हजार से अधिक ऐसी सिम बंद कराईं, जो फर्जी दस्तावेजों से एक्टिवेट थीं।
– 69 हजार से अधिक ऐसे मोबाइल फोन को भी ब्लॉक कराया गया, जिनमें फर्जी सिम संचालित थीं।
– 32 प्रकरण विभिन्न थानों पर हुए दर्ज।
– 47 साइबर आरोपियों को किया गिरफ्तार।
– 02 लाख रुपए से अधिक, 75 मोबाइल, 268 प्री एक्टिव फर्जी सिम, 25 डेविड-क्रेडिट कार्ड बरामद किए आरोपियों से।
– 54 में से 37 प्राइवेट एटीएम मशीनों को पुलिस बंद करा चुकी है, जो पैसे निकालने के काम आ रहे थे।