scriptरुदावल में फलफूल रहे ताइवान के ‘माधुरी व कोहिनूर’ | Taiwanese melon in Rudwal | Patrika News

रुदावल में फलफूल रहे ताइवान के ‘माधुरी व कोहिनूर’

locationभरतपुरPublished: Dec 26, 2018 10:11:50 pm

Submitted by:

shyamveer Singh

रुदावल. कस्बे में इन दिनों ताइवान के ‘माधुरी व कोहिनूर’ खूब फलफूल रहे हैं। असल में हम बात कर रहे हैं ताइवान के ‘माधुरी व कोहिनूर’ किस्म के खरबूजे की। अब तक आपने सुना होगा कि खरबूजा सिर्फ गर्मियों में पैदा होने वाला फल है लेकिन यहां के एक प्रगतिशील किसान ने अपने ग्रीन हाउस में ताइवान समेत अन्य देशों में पैदा होने वाले करीब आधा दर्जन किस्म के खरबूजे की फसल तैयार की है।

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भरतपुर. रुदावल कस्बे में इन दिनों ताइवान के ‘माधुरी व कोहिनूर’ खूब फलफूल रहे हैं। असल में हम बात कर रहे हैं ताइवान के ‘माधुरी व कोहिनूर’ किस्म के खरबूजे की। अब तक आपने सुना होगा कि खरबूजा सिर्फ गर्मियों में पैदा होने वाला फल है लेकिन यहां के एक प्रगतिशील किसान ने अपने ग्रीन हाउस में ताइवान समेत अन्य देशों में पैदा होने वाले करीब आधा दर्जन किस्म के खरबूजे की फसल तैयार की है। इस प्रगतिशील किसान ने कृषि की नवीन तकनीक से गर्मी की तपन से पकने वाली इस फसल को तीन डिग्री तापमान जैसी सर्दी के मौसम में तैयार किया है, जो कि देशभर में अपनी महक व स्वाद देगा।
तीन ग्रीनहाउस में छह किस्म के खरबूजे
कस्बा निवासी किसान अजीत सिंह पूनियां ने स्थानीय फसल को छोड़कर कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए एक ग्रीनहाऊस का निर्माण कर खीरे की पैदावार शुरू की थी। खीरे की अच्छी फसल होने एवं महानगरों में अच्छी मांग होने पर पूनियां ने इस बार विदेशी किस्म के खरबूजे की फसल तैयार की है।पूनियां ने बताया कि रुदावल में उनके छह ग्रीनहाऊस हैं और इनमें से तीन में खीरा की फसल तो तीन में खरबूजे की फसल की गई है। तीन ग्रीन हाऊस में ताइवान का कोहिनूर, शानवी, मृदुला, माधुरी किस्म का खरबूजा तो हॉलेण्ड का ग्रेडियल किस्म का खरबूजा पैदा किया जा रहा है।
मावेल किस्म पहली बार
पूनियां ने बताया कि यूरोपीय देश स्पेन, इटली और आस्ट्रेलिया में होने वाले मावेल किस्म के खरबूजे को पहली बार भारत में उनके ग्रीन हाऊस में प्रयोगिक तौर पर पैदा किया गया है। ताइवान की चार किस्म का खरबूजे का पहले भी दक्षिण भारत में तो उत्पादन किया जाता रहा है, लेकिन उत्तर भारत में इसका पहली बार उत्पादन किया गया है। कस्बे में उत्पादित किए गए खरबूजा के हर किस्म के रंग भी देशी खरबूजा की अपेक्षा भिन्न हैं।
स्वाद के साथ गुणकारी भी
पूनियां ने बताया कि खरबूजे की पैदावार के लिए गाय के गोबर का खाद, नीम का पानी, गौमूत्र के अलावा मानव शरीर को लाभकारी मिनरल्स उपयोग लिए जा रहे हैं, जो कि स्वाद के साथ ही गुणकारी भी हैं। पूनियां ने बताया कि फसल तैयार होने के साथ ही इसे जयपुर, दिल्ली, अमृतसर एवं पंजाब की अन्य मंडियों में भेजा जा रहा है। खरबूजे का भाव भी 50 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम होने के बाद भी अच्छी मांग है।
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