कस्बा निवासी किसान अजीत सिंह पूनियां ने स्थानीय फसल को छोड़कर कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए एक ग्रीनहाऊस का निर्माण कर खीरे की पैदावार शुरू की थी। खीरे की अच्छी फसल होने एवं महानगरों में अच्छी मांग होने पर पूनियां ने इस बार विदेशी किस्म के खरबूजे की फसल तैयार की है।पूनियां ने बताया कि रुदावल में उनके छह ग्रीनहाऊस हैं और इनमें से तीन में खीरा की फसल तो तीन में खरबूजे की फसल की गई है। तीन ग्रीन हाऊस में ताइवान का कोहिनूर, शानवी, मृदुला, माधुरी किस्म का खरबूजा तो हॉलेण्ड का ग्रेडियल किस्म का खरबूजा पैदा किया जा रहा है।
पूनियां ने बताया कि यूरोपीय देश स्पेन, इटली और आस्ट्रेलिया में होने वाले मावेल किस्म के खरबूजे को पहली बार भारत में उनके ग्रीन हाऊस में प्रयोगिक तौर पर पैदा किया गया है। ताइवान की चार किस्म का खरबूजे का पहले भी दक्षिण भारत में तो उत्पादन किया जाता रहा है, लेकिन उत्तर भारत में इसका पहली बार उत्पादन किया गया है। कस्बे में उत्पादित किए गए खरबूजा के हर किस्म के रंग भी देशी खरबूजा की अपेक्षा भिन्न हैं।
पूनियां ने बताया कि खरबूजे की पैदावार के लिए गाय के गोबर का खाद, नीम का पानी, गौमूत्र के अलावा मानव शरीर को लाभकारी मिनरल्स उपयोग लिए जा रहे हैं, जो कि स्वाद के साथ ही गुणकारी भी हैं। पूनियां ने बताया कि फसल तैयार होने के साथ ही इसे जयपुर, दिल्ली, अमृतसर एवं पंजाब की अन्य मंडियों में भेजा जा रहा है। खरबूजे का भाव भी 50 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम होने के बाद भी अच्छी मांग है।