भरतपुर

दर्द की दास्तां : तीन साल में बुझ गए 1081 चिराग

– न सरकार सुन रही न प्रशासन देख रहा हादसे-अब सारस चौराह मांग रहा आरओबी

भरतपुरAug 12, 2022 / 11:56 am

Meghshyam Parashar

दर्द की दास्तां : तीन साल में बुझ गए 1081 चिराग

राजीव पचौरी
भरतपुर . शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहों में शुमार सारस चौराहा सुगम यातायात देने में भले ही फिसड्डी रहा हो, लेकिन जिंदगी लीलने में यह अव्वल नजर आ रहा है। पिछले तीन सालों में यह चौराहा 1080 घरों के चिराग बुझा चुका है। वहीं बहुतेरे घायलों को जिंदगी भर का दर्द मिल गया, लेकिन न तो सत्ता ने इसकी सुध ली और ही कभी प्रशासन ने लोगों के इस दर्द को जाना। इस अनदेखी की पीर लोगों को ताउम्र भुगतनी पड़ रही है। हाल ही जुलाई माह में एक तेज रफ्तार कार ने एक महिला को इसी चौराहे पर रौंद दिया। इसके बाद भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा है।
सारस चौराहे से राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-बीकानेर गुजर रहा है। ऐसे में यहां यातायात का भारी दवाब रहता है। आलम यह है कि नजर चूकते ही यहां से निकलने वाले वाहन चालक एवं राहगीर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। शहर में प्रवेश की बात हो या आगरा-जयपुर जाने के लिए रास्ता पकडऩे की। इस चौराहे से लोगों को गुजरना ही पड़ता है। हाइवे पर तेज रफ्तार यातायात की वजह से वाहन चालक और लोग यहां अक्सर दुर्घटना का शिकार होते हैं। चौराहे से निकलने के लिए अलग से कोई रास्ता नहीं होने के कारण लोगों को हाइवे पर बने कट में से निकलना पड़ता है। इससे हादसे की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
इसलिए नहीं निकल सका समाधान

सारस चौराहे पर लंबे समय से फ्लाईओवर की मांग चली आ रही है। इसकी सरकारें लंबे समय से अनदेखी करती चली आ रही है। जानकारों का दावा है कि यदि फ्लाईओवर का निर्माण होता है तो सबसे ज्यादा प्रभावित होटल व्यवसाय होगा। यहां होटल व्यवसाय भाजपा एवं कांग्रेस के नेता कर रहे हैं। अब सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की। इन रसूखदार नेताओं के दवाब में फ्लाईओवर की फाइल कभी आगे खिसकती ही नहीं है। लंबे समय से यह मांग अभी भी फाइलों में दफन है। शहरवासी लंबे अरसे से सुरक्षित यातायात के लिहाज से फ्लाईओवर की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही।
खुद के ही भरोसे है यातायात

सारस चौराहे पर लोगों के आवागमन के लिए बना रखा कट भी भगवान भरोसे ही संचालित हो रहा है। वजह, यहां यातायात पुलिसकर्मी तो तैनात रहते हैं, लेकिन उनके लिए कट के पास खड़े होने की जगह नहीं है। यदि वह कट के पास खड़े होते हैं तो इससे यातायात बाधित होने का डर रहता है। साथ ही चालान की बचने की जुगत में दुपहिया वाहन चालक हड़बड़ाहट में निकलते हैं। ऐसे में यहां दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है। चौराहे पर यूं तो डिवाइडर बना रखे हैं, लेकिन यह डिवाइडर तेज गति से आने वाले वाहन चालकों को नजर नहीं आते हैं। इससे कई बार वाहन उछल कर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। डिवाइडरों पर सफेद पट्टी गायब होने से वाहन चालकों को इनका अंदाजा नहीं रह पाता। इससे वह हादसे का शिकार हो जाते हैं। चौराहे पर दुर्घटनाओं की वजह से रैलिंग भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इससे आवारा जानवर इधर से उधर निकलते रहते हैं। यह भी हादसे की बड़ी वजह बन रहे हैं।
रसूख के दवाब में आगे खिसक गया फ्लाइओवर

नेशनल हाइवे के सारस चौराहे पर फ्लाइओवर की सख्त दरकार थी। जानकारी के अनुसार हाइवे निर्माण के दौरान ओवरब्रिज बनाने की तैयारी भी हो गई थी, लेकिन यहां फिर से रसूख आड़े आ गया। बताते हैं चौराहे के पास जिन लोगों की जमीनें थी, उन लोगों ने यहां फ्लाइओवर बनाने का विरोध किया। इसके चलते यह योजना खटाई में पड़ गई। विरोध का नतीजा यह हुआ कि सारस चौराहे से फ्लाइओवर को हटाकर शीशम तिराहे से आगे बना दिया गया, लेकिन यहां इसका कतई उपयोग नहीं हो रहा है।
साल दुर्घटना मौत घायल

2019 714 360 480

2020 633 335 429

2021 697 386 581
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